मुस्लिम पक्ष ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
उच्च न्यायालय के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका मस्जिद प्रबंधन समिति ने वकील आरएचए सिकंदर के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर की है। सिकंदर ने कहा कि याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।
उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि शाही ईदगाह के ‘‘धार्मिक चरित्र’’ को निर्धारित करने की आवश्यकता है।
उच्च न्यायालय ने इस दलील को खारिज कर दिया था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और निकटवर्ती मस्जिद के विवाद से संबंधित हिंदू वादियों द्वारा दायर वाद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का उल्लंघन करते हैं और इसलिए सुनवाई योग्य नहीं हैं। वर्ष 1991 का अधिनियम देश की आजादी के दिन मौजूद किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है। इसमें केवल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था।
हिंदू पक्ष द्वारा दायर किए गए मामलों में औरंगजेब-युग की मस्जिद को हटाने का आग्रह किया गया है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी। अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने कहा था कि 1991 का अधिनियम ‘‘धार्मिक चरित्र’’ शब्द को परिभाषित नहीं करता है और ‘‘विवादित’’ स्थान पर मंदिर और मस्जिद का दोहरा धार्मिक चरित्र नहीं हो सकता, जो ‘‘एक ही समय पर एक-दूसरे के प्रतिकूल” हैं।’’
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा था, ‘‘या तो स्थान मंदिर है या मस्जिद। इस प्रकार, मुझे लगता है कि विवादित स्थान का धार्मिक चरित्र, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था, दोनों पक्षों के नेतृत्व में दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य द्वारा निर्धारित किया जाना है।’’ न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने निष्कर्ष निकाला था कि ये मामले ‘‘वक्फ अधिनियम, 1995; उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991; विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963; परिसीमा अधिनियम, 1963 और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 13 नियम 3ए के किसी भी प्रावधान द्वारा वर्जित प्रतीत नहीं होते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने नौ अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर अपनी रोक नवंबर तक बढ़ा दी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अदालत की निगरानी में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।