कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण आंदोलन हिंसक हो गया है। मंगलवार को बेंगलुरु में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर विधानसभा की ओर मार्च करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारियों के सिर फूट गए तो कईयों के पैर टूट गए। वहीं पुलिस ने भाजपा के कई विधायकों और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बसवजय मृत्युंजय स्वामी को हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद सड़क पर फटे हुए जूते बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं, पुलिस बाकी प्रदर्शनकारियों से बहस करती हुई नजर आई। कई प्रदर्शनकारियों के सिर से खून बहने के वीडियो भी सामने आए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने पहले ही कहा था कि अगर उनकी मांग को नहीं माना गया तो वे विधान सौध की घेराबंदी करेंगे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। इसके बाद पुलिस ने विपक्षी भाजपा के कई विधायकों और मृत्युंजय स्वामीजी के साथ-साथ उनके कई समर्थकों को एहतियातन हिरासत में ले लिया है। कर्नाटक में लिंगायत पंचमसाली समुदाय के लोगों द्वारा जारी इस विरोध प्रदर्शन ने कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है। सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन पंचमसाली संप्रदाय के कोटा आंदोलन के राजनीतिक नेताओं में से एक भाजपा के बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित कांग्रेस के विधायकों के साथ तीखी बहस की।
इस बहस के दौरान सदन में हंगामा देखने को मिला। जिस कारण विधानसभा की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा। इस मामले पर आज भी विधानसभा में चर्चा होनी थी। माना जा रहा था कि इस दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के निधन के कारण सदन की कार्यवाही पूर्व कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता के सम्मान में दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
पंचमसाली लिंगायत समुदाय को वर्तमान में शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 5% आरक्षण मिला हुआ है। अब वे इसे बढ़ाकर 15% करने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने समुदाय के नेताओं से मुलाकात कर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा और आश्वासन दिया कि वे रिपोर्ट के हिसाब से सही फैसला लेंगे।
भाजपा के प्रवक्ता जीएस प्रशांत ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, “देखिए कैसे पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग कर रही है। कोई भी हिंसक नहीं था। पुलिस को हमला करने का निर्देश इसलिए दिया गया क्योंकि सरकार इन विरोध प्रदर्शनों को नहीं चाहती। जो पुलिस गणेश चतुर्थी जुलूस पर हमले के वक्त खामोश थी, वही अब कोटा मांगने वाले हिंदुओं पर हमला कर रही है।” प्रशांत ने आगे कहा, “यह सब चार प्रतिशत मुस्लिम कोटा वापस लाने की कोशिश के कारण हो रहा है, जिसे भाजपा ने सत्ता में रहते हुए अवैध घोषित कर दिया था। सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेना चाहिए और इन विरोध प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहने देना चाहिए।”