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मोक्षित कॉर्पोरेशन को सीजीएमएसी ने किया 3 साल के लिए ब्लैक लिस्ट, सीजीएमएसी के दो दर्जन नोटिस का नहीं दिया जवाब, शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में पैथालॉजी जांच के लिए क्रय कर आपूर्ति किए गए उपकरण एवं रिएजेंट

रायपुर। दुर्ग की कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन दवा, मेडिकल उपकरण निर्माता व सप्लायर एजेंसी है। यह एजेंसी 2015 से उपकरण सप्लाई कर रही है। ईओडब्ल्यू ने रायपुर और दुर्ग स्थित फैक्ट्री व घरों में छापा मारा था। हरियाणा के पंचकूला में आठ टीमों ने छापा मारा था। इधर सीजीएमएससी ने मोक्षित कारर्पोरेशन को राज्य की शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में पैथालॉजी जांच के लिए क्रय कर आपूर्ति किए गए उपकरण एवं रिएजेंट के संबंध में 789 उपकरण के काम नहीं करने और 215 उपकरण के इंस्टाल भी नहीं करने काे आपत्तिजनक बताते हुए नोटिस जारी किया।

सीजीएमएससी ने मोक्षित कार्पाेरेशन को दो दर्जन से अधिक नोटिस भेजा उसके बाद भी आज पर्यन्त तक जवाब न दिए जाने पर उसे 3 साल के लिए ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई एमडी सीजीएमएससी पद्मिनी भोई ने मंगलवार को की है।

बताया जाता है कि कंपनी ने मार्केट दर से सौ गुना ज्यादा में उपलब्ध कराने का काम किया है। जिन स्वास्थ्य केंद्रों में रिएजेंट संरक्षित कर रखने की जगह नहीं थी, वहां भी सप्लाई कर दी गई। इसके चलते 20 करोड़ के रिएजेंट खराब हो गए। मामले में यह बताया गया है कि तात्कालीन क्रय समिति ने अपने तरीके से खरीदी की अनुसंशा की थी। सीजीएमएससी और डीएचएस ने किसी भी तरह की दवा व उपकरण खरीदी के लिए छह से आठ विशेषज्ञों की क्रय समिति बनाई थी।

इस समिति में जीएम टेक्निकल कमल पाटनावर, बायोमेडिकल इंजीनयर खिरौद्र रौतिया, टीपीओ अभिमन्यु सिंह, डीएचएस के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई, सीजीएमएससी के एमडी चंद्रकांत वर्मा और मेडिकल कालेज के एक डाक्टर को शामिल किया गया था। रिएजेंट की दर अनुबंध करने वाली क्रय समिति में शामिल अधिकारियों ने दर स्वीकृत कर सप्लायर से अनुबंध करने के लिए डीएचएच को पत्र भेजा था। इसके बाद डीएचएस ने खरीदी की अनुमति दी थी। तब सीजीएमएससी ने टेंडर जारी किया था।

सरकार बदलने के बाद हुई कार्रवाई
सरकार बदलने के बाद सीजीएमएससी की एमडी पद्मिनी भोई ने पूरे मामले की जांच में आए तथ्यों के आधार पर मामले को जांच में लिया। दवा कंपनी को पूछताछ और उनके उपकरणों के संबंध में र्दएमआईएस पोर्टल शिकायत करने के बाद आज तक उन उपकरणों को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया गया। मामले में भाजपा सरकार आने के बाद इसमें जांच की घोषणा हुई। पूरा मामला अब ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया है।

क्रय समिति के अफसर तलब
मामले में क्रय समिति में जिन अफसरों ने रिएजेंट और उपकरण खरीदने की अनुसंशा की थी, उन लोगों से भी ईओडब्ल्यू मामले में पूछताछ कर सकती है। उक्त मामले में मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक को गिरफ्तार कर ईओडब्ल्यू पूछताछ कर रही है।

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