चीन अक्सर भारत को चिढ़ाने के लिए हमारे गांवों का नाम बदल देता है, जिसे भारत हर बार खारिज कर देता है और करारा जवाब देता है. लेकिन इस बार चीन को जैसे का तैसा जवाब मिला है. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार तिब्बत (Tibet) स्वायत्त क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक जगहों के नाम बदलने की योजना बना रही है. जैसे ही यह खबर सामने आई, चीन सकते में आ गया. उसने तुरंत इस बारे में बयान जारी किया और भारत को महत्वपूर्ण पड़ोसी देश बताने लगा.
भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, चीन ने भारत के पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का नाम बदल दिया था. ऐसे में मोदी सरकार ने चीन को जैसे को तैसा के हिसाब में यह जवाब दिया है. सेना के सूत्रों का दावा है कि उन्होंने ऐसा एक दस्तावेज देखा है, जिसमें उन जगहों की सूची है, जिनके नाम बदलने की तैयारी है. कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने तिब्बत क्षेत्र के बारे में लंबे शोध और अध्ययन के बाद ये नाम बदले हैं.
चीन के ‘नाम-बदलो अभियान’ का जवाब
भारत सरकार के इस कदम को चीन के ‘नाम-बदलो अभियान’ का जवाब बताया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने ऐसे 30 जगहों के नाम बदलने की अनुमति दी है. इन नामों को जल्द ही इंडियन आर्मी जारी करेगी और इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ अपडेटेड मैप में भी दर्शाएगी. इस सूची में 11 आवासीय इलाके, 12 पहाड़ियां, चार नदियां, एक झील, एक माउंटेन पास और एक जमीनी इलाका है. इससे पहले 2017 में भी चीन ने ऐसी सी हरकत की थी.
चीनी दूतावास ने क्या कहा
इसके बाद चीनी दूतावास ने बयान जारी किया. कहा, चीन और भारत महत्वपूर्ण पड़ोसी देश हैं. सीमा मुद्दों को ठीक से संभाला जाना चाहिए. एक मजबूत और स्थिर चीन और भारत संबंध दोनों देशों के हित में है, और इस क्षेत्र और इससे परे शांति और विकास के लिए अनुकूल हैं. चीन द्विपक्षीय संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने को इच्छुक है. एक्सपर्ट के मुताबिक, तीसरी बार मोदी सरकार बनने के साथ चीन को यह समझ आ गया है कि सीमा पर कुछ गड़बड़ नहीं किया जा सकता.