धार। हाई कोर्ट के आदेश पर चल रहे धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे में अब धार के प्राचीन किले में स्थित संग्रहालय की वीथिका को भी शामिल किया गया है। इस संग्रहालय में बीते दशकों में भोजशाला से निकले वे महत्वपूर्ण शिलालेख रखे गए हैं, जिनमें प्राचीन भाषा में रचनाएं लिपिबद्ध की गई हैं। 4 शिलालेख तो हूबहू उसी तरह के हैं, जिस तरह के शिलालेख वर्तमान में भोजशाला के मुख्य प्रवेश द्वार के पास लगे हुए हैं।
11वीं शताब्दी की है काले पाषाण की कुबेर प्रतिमा
किले में 11वीं शताब्दी की काले पाषाण की कुबेर प्रतिमा भी है। उसके अलावा लाल पाषण की अर्धनारीश्वर की मूर्ति भी यहां रखी हुई है। सर्वे टीम ने इसका भी विवरण दर्ज किया है। धार व मांडू के संग्रहालय में भोजशाला से संबंधित अवशेषों को सर्वे में दर्ज किया जाएगा। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राज्य पुरातत्व विभाग से पुराने दस्तावेज भी संकलित किए गए हैं। इसे भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
22 मार्च से चल रहा है एएसआई सर्वे
22 मार्च से चल रहे सर्वे को 14 जून को 85 दिन पूरे हो चुके हैं। 86वें दिन का सर्वे 15 जून को होना है। यह सर्वे कार्य 27 जून तक सतत जारी रहेगा। इसके बाद चार जुलाई को इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है।
1948 में मिले थे शिलालेख
भोजशाला को मां सरस्वती मंदिर घोषित करने के लिए याचिका लगाने वाले आशीष गोयल ने बताया कि ऐतिहासिक किले में शिलालेख की वीथिका बनी हुई है। इसमें 13 शिलालेख रखे हुए हैं। इसके समान शिलालेख वर्तमान में भोजशाला की दीवार पर भी लगे हुए हैं। किले के संग्राहलय में रखे ये अभिलेख 1948 में भोजशाला से मलबा हटाने पर मिले थे। एएसआई ने इन्हें अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया है। किले में 11वीं शताब्दी की काले पाषाण की कुबेर मूर्ति भी मौजूद है। 1988 में मिली मूर्ति को सर्वे में शामिल किया गया है। इसके अलावा अर्धनारीश्वर की मूर्ति भी है। यह बहुत ही विशिष्ट मूर्ति है।
मलबे में भी मंदिर होने के प्रमाण
इस तरह से भोजशाला के मंदिर होने के प्रमाण न केवल भोजशाला में हैं, बल्कि वर्षों पहले यहां से मलबा हटाने या सफाई के तहत मिले वह अवशेष जो धार के किले और मांडू के संग्रहालय में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि मांडू के 56 महल में भी एक कुबेर मूर्ति है। एएसआई ने दोनों स्थानों पर इन मूर्तियों व शिलालेखों के छाप लिए हैं। सर्वे के तहत फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी कर ली गई है। गोयल ने बताया कि भोजशाला से पूर्व में भी मूर्तियां मिलती रही हैं। कुछ मूर्तियां एएसआई के तवेली महल संग्रहालय में भी रखी हुई हैं। बरसों पहले रखी गई इन मूर्तियों की जानकारी हमने एएसआई को दी है। इसको भी सर्वे में शामिल किया जाना है।