रायपुर। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार की समीक्षा के दौरान राजीव भवन में सोमवार को राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा सीट से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने 150 से अधिक लोगों से वन-टू-वन मुलाकात कर उनसे चर्चा का हार के कारणों के बारे में जाना। चार दिन की समीक्षा के बाद यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस गुटबाजी, भितरघात और सत्ता-संगठन में तालमेल की कमी के कारण चुनाव हारी। समीक्षा बैठक में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य वीरप्प्प मोइली और हरीश चौधरी ने सभी लोेकसभा की समीक्षा के बाद इसकी रिपोर्ट एआईसीसी को देंगे।
सोमवार को राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा की बैठक के बीच एक गुमनाम पत्र बाहर आया जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम से लिखे गए पत्र में भूपेश बघेल सहित कई बड़े नेताओं को हार का जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें लिखा गया कि बड़े नेताओं के अहंकार की वजह से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार हुई है। डॉ. चरणदास महंत, अकबर और ताम्रध्वज के खिलाफ भी शिकायत की गई है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि महंत ने भूपेश और डहरिया को निपटाया है। पत्र में कहा गया है कि चुनाव परिणामों पर समीक्षा करने आज नेता दिल्ली से रायपुर पहुंचे और विधानसभा, लोकसभा में हार के कारणों पर चर्चा की। जबकि आप स्वयं राहुल गांधी, कुमारी सैलजा, चन्दन यादव, रत्नगिरी उल्का और प्रदेश का जानता है कि हार के मात्र दो कारण हैं।
हार के ये कारण बताए
पहला कारण भूपेश बघेल का अहंकार और बदतमीजी से बात करना, एकला चलो की रणनीति संगठन को दरकिनार करके चलना। जातिवाद की मानसिकता, उनका भ्रष्टाचार और गलत टिकट वितरण करना है। हार का दूसरा कारण बताते हुए कहा गया है सौम्या, रामगोपाल, गिरीश देवांगन, अनिल टुटेजा, सूर्यकांत, विनोद वर्मा, प्रदीप शर्मा, राजेश तिवारी, ढेबर जैसे लोग और सट्टा, शराब, कोयला, डीएमएफ, जीएसटी, पीएससी जैसे कई घोटाले, जिनके कारण बघेल पिता-पुत्र और दामाद के ऊपर ईडी की कार्रवाई की संभावना से डरकर भूपेश बघेल की भाजपा से डीलिंग हुई। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने का पूरा षड्यंत्र हुआ, जिसमें बघेल ने पूरी कांग्रेस को प्रदेश में हासिए में ला दिया, तभी इनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी हार गए।
हारे हुए चेहरों को लोकसभा मे दी टिकट
लोकसभा में फिर हारे हुए पुराने चेहरों को टिकट दी। दुर्ग से पांच मंत्री थे सब हारे थे, फिर दुर्ग से चार लोगों को दूसरे क्षेत्रों से टिकट दे दी। परिणाम ये हुआ कि सब हार गए। ज्योत्सना महंत जीती तो उसमें चरणदास या कांग्रेस का कोई रोल नहीं है। सरोज पाण्डेय को भाजपा के बड़े नेताओ ने ही हराया, इसमें दो मंत्री और तीन विधायक का रोल है। अमित जोगी और तुलेश्वर मरकाम का भी पैसा लेकर सहयोग लिया गया और भूपेश, ताम्रध्वज, चरणदास, चौबे, अकबर, सिंहदेव तो अपनी विधानसभा में भी पार्टी को लीड नहीं दिला सके।
सत्ता-संगठन में तालमेल की कमी से हारे चुनाव-बैज
वहीं फैक्ट फाइडिंग कमेटी की बैठक को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, सत्ता-संगठन के बीच तालमेल था, लेकिन कुछ कमियां रहीं, जिसके चलते हमें चुनाव में सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा, सभी सीनियर नेताओं ने कमेटी को सुझाव दिए हैं। आने वाले समय में संगठन को नए तरीके से मजबूत करके सीनियर नेताओं को साथ में लेकर मजबूती से काम करेंगे। आने वाले समय में नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव मजबूती के साथ लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव के बाद जिला स्तर पर समीक्षा की गई थी। कहीं ना कहीं कुछ कारण रहा होगा। नई रणनीति के साथ आने वाले समय में लड़ा जाएगा।