शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हिंदू वाले बयान का समर्थन किया है. संसद के विशेष सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हिंदुओं को लेकर बयान दिया था. जिसके बाद हिंदू संगठन सहित भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन किया गया था.
सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से लेकर धर्मगुरु तक उन पर हमलावर हैं. राहुल गांधी की हिंदू वाले बयान पर हो रही जमकर आलोचना के बीच अब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कांग्रेस सांसद का समर्थन किया है. जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के इस 1 मिनट 17 सेकंड के वीडियो को कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है, जिसमें वो यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि, “हमने राहुल गांधी का पूरा भाषण सुना. वे साफ कह रहे हैं कि हिंदू धर्म में हिंसा का स्थान नहीं है. राहुल गांधी कहीं भी हिंदू धर्म के विपरीत बात नहीं कर रहे हैं. राहुल गांधी के आधे वक्तव्य को फैलाना अपराध है. ऐसा करने वाले को दंडित किया जाना चाहिए.”
राहुल गांधी ने लोकसभा में 01 जुलाई को कहा था कि, “जो लोग अपने आप को हिंदू मानते हैं वो 24 घंटे हिंसा और नफरत करते रहते हैं. आप लोग हिंदू हो ही नहीं. हिंदू धर्म में साफ लिखा है कि सच का साथ देना चाहिए. अब आप देखें राहुल गांधी के उस बयान का वीडियो जिसमें वह संसद में हिंदू पर बोले थे.
सच्चा हिंदू वो है, जो गौ रक्षा कानून लेकर आएगा: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इससे पहले राहुल के बयान पर कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल सच्चा हिंदू हितैषी नहीं है. क्योंकि, कोई भी दल अभी तक हिंदू धर्म में मां का दर्जा प्राप्त ‘गौ माता’ के लिए गौ रक्षा कानून नहीं ला पाया है. राहुल गांधी संसद में जो कहते हैं, वो एक राजनीतिक वक्तव्य है, लेकिन सच्चा हिंदू वो है, जो गौ रक्षा कानून लेकर आएगा.
राम मंदिर के मुहूर्त को लेकर शंकराचार्यों ने उठाए थे सवाल
इससे पहले शंकराचार्यों ने अलग-अलग कारण बताकर राम मंदिर उद्घाटन से किनारा कर लिया था. हालांकि रामलला प्राण प्रतिष्ठा का इन शंकराचार्यों ने समर्थन भी किया है. मामले पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि मंदिर अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ है और उससे पहले प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए. अधूरे भगवान की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में निषेध है.