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राशन घोटाले की जांच समिति जल्दी ही मांगेगी पांच साल का लेखा जोखा

कांग्रेस शासनकाल में हुए छः सौ करोड़ रुपए के राशन सामग्री बचत घोटाले की जांच समिति की पहली औपरारिक बैठक समिति के सभापति पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नू लाल मोहिले के अध्यक्षता में 19जून 2024को संपन्न हो गई। समिति के सदस्यो और विधानसभा के सचिव की उपस्थिति में हुई बैठक में घोटाले की जांच बिंदुओं के संबंध में चर्चा हुई । सभी सदस्यों को निर्देशित किया गया कि पूर्व भाजपा शासन में देश भर में एक नंबर पर रहने वाली राशन प्रणाली किन कारणों से देश के पहले पांच स्थान के बजाय बीसवे नंबर पर खसक गई।

समिति के सभापति, विधान सभा सचिव सहित सभी सदस्यों को 28 बिंदुओं पर जांच किए जाने संबधी पत्र छत्तीसगढ़ खाद्य नागरिक आपूर्ति संघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र गुलाटी ने सौपा है। इस जांच के संबंध में विधान सभा अध्यक्ष और पिछले शासन में घोटाला को उजागर करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह को भी जांच के बिंदु सौप कर जांच की मांग की गई है। समिति के सभापति पुन्नू लाल मोहिले पूर्व भाजपा शासन में खाद्य मंत्री रहे है। उनके कार्यकाल में पारदर्शी वितरण प्रणाली बनाई गई थी। इसमें दो महीने का पूरा कोटा दिए जाने के बाद तीसरे महीने बीते दो माह का कोटा घटा कर देने का नियम था।

कांग्रेस शासन काल में अघोषित सत्ता संपन्न अधिकारियो को खाद्य संचालनालय के अपर संचालक ने घोटाले की सारी तरकीब बता कर राशन दुकानों का कोटा काटने का काम बंद करवा दिया। इसके कारण सिर्फ चार साल में 600करोड़ का राशन बचत घोटाला हो गया। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को बरगला कर सदन में गलत जानकारी देकर गुमराह करने की कोशिश हुई।

नई सरकार में बजट सत्र में पहला प्रश्न धरम लाल कौशिक ने उठाया और सदन आश्वाशन देने के बावजूद जानकारी न देने पर अवमानना का मामला बताए जाने पर घोटाले की जांच के लिए पांच सदस्यो की जांच समिति बनाने की घोषणा हुई थी।
संचालनालय के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस शासन काल में केवल नाम के संचालक पदस्थ किए गए। एक पूर्व संचालक से बचत कोटा घटाए बगैर राशन देने का उल्लेख खाद्य मंत्री से सदन में कराया गया है। खाद्य विभाग के निरीक्षको का कहना है कि उनसे हर महीने घोषणा पत्र इंस्पेक्टर माड्यूल में भरवाया गया है। इसके बाद संचालनालय की जिम्मेदारी थी कि कोटा घटा कर दिया जाए।

इसका चार साल तक पालन नहीं किया गया। इसके लिए जिम्मेदार खाद्य संचालनालय का अपर संचालक है। घोटाले पर पर्दा डालने का खेल 2022 के विधान सभा बजट सत्र में भूतपूर्व मुख्य मंत्री डा रमन सिंह ने विधान सभा में प्रश्न उठाया उसके बाद घोटाले को दबाने के लिए प्रयास शुरू हो गए। विधान सभा में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने आश्वासन देने के बावजूद सदन में जानकारी नहीं दी। खाद्य संचालनालय के अधिकारी ने विभाग के साइट से तेरह हजार राशन दुकानों का घोषणा पत्र हटा दिया। शासन के नियम अनुसार राशन घोटाले के लिए जिम्मेदार राशन दुकानों के प्रकरण बनाकर राजस्व वसूली किया जाना चाहिए था लेकिन बिना प्रकरण बनाए दुकानों से शपथ पत्र लेकर घोटाले को दबाया जा रहा है।

राशन दुकानों से जो राशन सामग्री काला बाजार में बेच दिया गया है उसको बाजार से खरीद कर रखने का निर्देश जूम कांफ्रेंसिंग में दिया जाकर खुले आम गड़बड़ी कराई गई है।
घोटाले को दबाने के लिए साल भर में एक बार भौतिक सत्यापन का खेल खेला जा रहा है। खाद्य संचालनालय के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि पिछले तीन साल मे हर साल भौतिक सत्यापन कराए जाने पर राशन दुकानों में कितना राशन सामग्री पाया गया और कितनी सामग्री काटी गई.। तकनीकी त्रुटि बताकर भी घोटाले को दबाया जा रहा है केवल 996राशन दुकानों में तकनीकी त्रुटि है जबकि घोटाला पांच हजार से अधिक राशन दुकानों में है।

खाद्य विभाग के निरीक्षकों का कहना है कि घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही किया जाना चाहिए। ऐसे संकेत मिले है कि अठाईस बिंदु में जानकारी मांगे जाने के साथ ही खाद्य संचालनालय के जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही होगी. केंद्रीय जांच दल दिल्ली को दी गई जानकारी में खाद्य संचालनालय ने स्वीकार किया था कि घोटाला 65 704मीट्रिक टन चांवल और 3310मीट्रिक टन शक्कर गायब है। 208राशन दुकान बर्खास्त की गई हैऔर कार्यवाही की जा रही है 205राशन दुकान निलंबित की गई है।22राशन दुकान के खिलाफ एफआइआर की कार्यवाही की गई है।केवल कागज पर घोटाले को दबाने का काम चल रहा है जिसका खुलासा विधान सभा की जांच समिति में होगा

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