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खजूर में अटके!

आकाश से गिरे और खजूर में अटके, बहुत पुरानी कहावत है।रायपुर दक्षिण भी खजूर के झाड़ से कम नहीं है जहां खुद आकाश अटक गया है। रायपुर दक्षिण विधानसभा का उप चुनाव होने जा रहा है।चुनाव तो हो चुका है, केवल वोट डाले जाने है और परिणाम निकालना है। इसके बाद रटा रटाया जवाब देना है हमें जनादेश स्वीकार्य है लेकिन सत्ता पक्ष ने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया,और नहीं हो ईवीएम तो ही।प्रियंका राबर्ट वाड्रा वायनाड से चुनाव जीते तो ईवीएम मशीन ठीक है।खैर, रायपुर दक्षिण के विधानसभा उप चुनाव में पोस्टर युद्ध की शुरुआत हो गई है तीन टिकटार्थीयो को अड़ंगा लगाते दिखाया गया है। सारा रायपुर दक्षिण जानता है कि इस उप चुनाव में दो महापौर(पुराने और नए) एक पुराने महापौर के सामने आना चाहते थे,ये जानते हुए कि अभी मेहनत कर लेते है।राजनीति में पांच साल (अब तो चार साल)बहुत कम समय होता है।एक समय के बाद राजनीति किस करवट बैठेगी ये कोई नहीं जानता है लेकिन संभावना से कोई इंकार नहीं हो सकता।

इस कारण तीन तीन दावेदार बहुत मेहनत किए थे।पराजित छाया विधायक बेचारे बहुत घूमे थे, उनको धता बता दिया गया। सत्रह हजार वोट की लीड कम किए थे हारने के बावजूद। हक भी बनता था लेकिन पैराशूट प्रत्याशी उतर गया उत्तर प्रदेश की मेहरबानी से। एक महापौर इसलिए काट दिए गए क्योंकि पूरा परिवार ईदी सॉरी ईडी के फेरे में पड़ा है।दूसरा महापौर घर के न घाट के होने के कारण वंचित हो गया।कांग्रेस के सारे गुट में कभी कभी न विश्वास जीतने वाले किसी के विश्वास पात्र नहीं बन सके। आकाशीय प्रत्याशी आ गया। खेल शुरू हो गया है।दिखावे का जन संपर्क चल रहा है।दूसरी तरफ भाजपा बृज मोहन अग्रवाल शैली में मैदान में है,जीत के प्रति आश्वस्त, ये भी शोर है कि रायपुर दक्षिण से केवल विधायक नहीं बल्कि मंत्री भी जीत रहा है। देश भर में पिछड़ा की राजनीति जोरो पर है। सुनील सोनी, पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को रायपुर जिले से एक मंत्री रखना ही है।सांसद का अनुभव रखने वाले पूर्व महापौर के पास सारी योग्यता है, बृज मोहन अग्रवाल के संगी होने के साथ साथ

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