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Gyanvapi: मस्जिद कमेटी को झटका, पूजा के अधिकार पर रोक लगाने से SC का इनकार

ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) पर मस्जिद कमेटी को सुप्रीम कोर्ट (SC) से बड़ा झटका लगा है. दरअसल, हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के बाद मस्जिद कमेटी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई सुबह 4 बजे की और अब कहा कि मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाना चाहिए. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के तहखाने में हिंदू पक्ष को मिले पूजा के अधिकार पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

तहखाने में पूजा का अधिकार कैसे मिला?
आपको बता दें कि ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिंदुओं को तहखाने में पूजा का अधिकार है. व्यासजी के तहखाने में पूजा का आदेश दिया जाता है. वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पुजारी पूजा करें. तहखाने में मौजूद मूर्तियों की पूजा हो, भोग लगे. 7 दिन के अंदर प्रशासन सारी व्यवस्था करे. लिहाजा वाराणसी प्रशासन ने देर रात ही कोर्ट का आदेश संपन्न करा दिया. साथ ही पूरे परिसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त कर दिए हैं.

नंदी के पास से हटी बैरकेडिंग
बता दें कि वाराणसी का प्रशासनिक अमला पूरे दल-बल के साथ बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में पहुंचा. वाराणसी के डीएम के साथ भारी संख्या में पुलिस बल और दर्जनों मजदूर भी मौजूद थे. जिनकी मदद से भगवान नंदी के सामने बनी बैरिकेडिंग को हटाया गया. दरअसल कोर्ट ने बुधवार को ही ज्ञानवापी परिसर में बने व्यास जी के तहखाने में पूजा की इजाजत के साथ ही यहां बने बैरिकेडिंग को भी हटाने का आदेश दिया था.

ASI सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आया फैसला
गौरतलब है कि ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ के कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष सहमत नहीं है. मुस्लिम पक्ष वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जान लें कि वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने के अधिकार देने का आदेश दिया था. कोर्ट का ये फैसला ASI सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आया.

मस्जिद कमेटी ने क्यों दी थी चुनौती?
लेकिन मस्जिद कमेटी अभी भी मानने को तैयार नहीं है. मस्जिद कमेटी का कहना है कि कानून को नजरअंदाज किया गया. 1993 से पहले पूजा का दावा निराधार है. ज्ञानवापी के तहखाने में कोई मूर्ति नहीं है. हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि मस्जिद कमेटी अपनी याचिका को लेकर पहले हाईकोर्ट जाए.

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