भाजपा ने प्रदेश में एक बार फिर आदिवासियों क्षेत्रों में धर्मांतरण और अन्य मामलों को लोकसभा चुनाव में भुनाने हिंदू वादी चेहरे के लोगों को चुनाव में उतारा है। विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग काफी सफल रहा। ऐसे में इसका काम करने वाले भाजपा पदाधिकारियों को आगे किया गया है। संघ की पूष्ठभूमि से आने वाले नेताओं जरिए हिंदुत्व को मुद्दा बनाया है। भाजपा ने बस्तर लोकसभा सीट से महेश कश्यप को टिकट दिया गया है। महेश कश्यप की बस्तर के हिंदुत्व वादी नेताओं में गिनती होती है। बस्तर में लगातार हो रहे धर्मांतरण को लेकर इन्होंने कई बार आंदोलन भी किया है।
पार्टी ने भरोसा जताया है, इसीलिए इन्हें सीधे लोकसभा प्रत्याशी बना दिया गया। वहीं कांकेर लोकसभा सीट से पूर्व विधायक भोजराज नाग को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। यहां से तत्कालीन बीजेपी सांसद मोहन मांडवी का टिकट काट कर पार्टी ने भोजराज पर भरोसा जताया है। वहीं राजनांदगांव लोकसभा से फिर एक बार संतोष पांडेय को उतार कर हिंदुत्व के मामले को आगे बढ़ाने का काम किया गया है।
कवर्धा और पंडरिया विधानसभा चुनाव में संतोष पांडेय की प्रमुख भूमिका रही। संतोष पांडे संगठन के भरोसेमंद माने जाते हैं, इसीलिए बीजेपी ने एक बार फिर इनको राजनांदगांव से टिकट दिया है. सरगुजा लोकसभा से रेणुका सिंह की जगह अब चिंतामणि महाराज पर बीजेपी ने भरोसा जताया है। पार्टी ने रेणुका सिंह को विधानसभा चुनाव लड़वाया था, इसलिए उनके विधायक बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था और इसके बाद वह बीजेपा में आ गए थे।
वह सरगुजा से बीजेपी का टिकट चाहते थे, लेकिन उन्हें अब लोकसभा में मौका दिया गया है। रामेश्वर गहिरा गुरु महाराज के सुपुत्र चिंतामणि महराज का जशपुर स्थित आश्रम कई मामलों वहां पर प्रसिद्ध हैं। क्षेत्र में उनके द्वारा सोगड़ा आश्रम का संचालन किया जाता है। वहां पर क्षेत्र में उनके अनेक अनुयायी हैं। राधेश्याम राठिया को रायगढ़ से उतारा गया। धरमजयगढ़ विधानसभा से लंबे वक्त से विधानसभा चुनाव का टिकट मांग रहे राधेश्याम को वफादारी का फल मिला है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इन्हें धरमजयगढ़ विधानसभा का चुनाव संचालक भी बनाया गया था, इससे पहले राठिया पूर्व जनपद अध्यक्ष, जिला किसान मोर्चा के महामंत्री भी रह चुके हैं। लोकसभा क्षेत्र जांजगीर से कमलेश जांगड़े बीजेपी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष के रूप में काम कर चुकी हैं। एक बार वह जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी हैं। चुनाव में भाजपा ने जो प्रत्याशी उतारे हैं उनके कार्याें को देखकर उन्हें मौका दिया गया है। क्षेत्र में उनकी सक्रियता के साथ ही जीतने की संभावनाओं के आधार पर टिकट दिया गया है।