महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य बनने के बाद जमे अफसरों की तूती बोलती है। यहां पर उनके इशारे पर पूरा विभाग चलता है। विभाग में मनमानी और मनमौजी को यहां पर पदस्थ दोनों महिला अधिकारी समझ नहीं पाए और वहां पर तालाबंदी जैसा प्रकरण हो गया। यहां पर राज्य बनने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से लेकर वहां पर दिए जाने वाले पोषण आहार तक के सप्लाई और वितरण में कोताही बरती गई। कोरोना काल में तो इन अधिकारियों ने भारी खेल किया।
अब उनके उपर बैठे अफसर स्वयं दो दशकों से यहां राज कर रहे हैं जो नीचे वाले भी उनसे सेटिंग कर अपना काम निकालते रहते हैं। ऐसे में यहां पर उप संचालक की सहायक संचालक नहीं सुनता और बढ़े बाबू की सहायक ग्रेड 3 भी कदर नहीं करता। ऐसे में इन अफसरों की मिटटी पलीत न हो तो फिर क्या हो। यहां पर राज्य बनने के बाद से अंगद की पांव की तरह जमेे इन अफसरों की तूती बोलती है। इनका कहना न मामने वालों को कहा तक प्रताडित किया जा सकता है यह वे भी नहीं जानते। जो भी आईएएस आते हैं वे उनके कहे अनुसार काम इन पर ही ढाल कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
इनमें अर्चना राणा सेठ संयुक्त संचालक, क्रिस्टीना लाल संयुक्त संचालक, सुनील शर्मा उपसंचालक, प्रियंका केसर उपसंचालक, श्रुति निकर, उपसंचालक, रामजतन कुशवाहा उपसंचालक इनके द्वारा सुपरवाइजरों की मनमौजी पोस्टिंग की गई। स्थापना में जिसको चाहे लाभ दे, जिसको चाहे सुपरवाइजर परीक्षा के लिए पुस्तक यही छपते हैं पेपर भी यही सेट करते हैं। यहां पर अभी महतारी वंदन की तरह सचिव और संचालक दोनों महतारी बैठी हैं। उनका विभाग में आना जाना तो है पर यहां के कर्मचारियों के पॉलिटिक्स को समझ नहीं पा रहे हैं।
ऐसे में इन महतारियों को यह देखना होगा कि उनके पीछे कौन लोग हैं जो विभाग को बदनाम करने में लगे हैं। यहां पर हर कोई अपना कार्य करने के बजाय वह सब कुछ करने जा रहा है, जो नहीं करना चाहिए। ऐसे में महतारी वंदन के साथ ही यहां के कर्मचारियों को खास तरह से वंदन कर रास्ते में लाना होगा। वैसे संचालक ने कह दिया है कि विवेचना करने के बाद कार्रवाई की जाएगी। पर देखना यह है कि इंद्रावती से कितना पानी निकलने के बाद कार्रवाई होती है।