लोकसभा चुनाव जैसे जैसे पास आते जा रहा है कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति बनते जा रही है। सरगुजा में आदिवासी और गैर आदिवासी वर्ग के बीच या कहे राजमहल और गैर राजमहल के नेताओ के आपसी लड़ाई का असर विधानसभा चुनाव में दिख चुका है। सरगुजा की सभी सीटों से कांग्रेस को बुरी तरह पराजय मिली और ये तय हो गया कि दो वर्गों ने एक दूसरे को निपटा ही दिया।
बाबा के विरोधी रहे एक आदिवासी नेता जो चार साल तक खुले आम मंचो से विरोध कर रहे थे उनको न केवल चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा बल्कि आयकर विभाग नहा धोकर पीछे पड़ गया। दबे स्वर में ये बात सामने आई कि भाजपा के साथियों से किसी नेता के रिश्तों के चलते बड़े पैमाने पर छापेमारी हुई। आदिवासी नेता जिस विभाग के मंत्री थे उसके साथ साथ जिस जिले के प्रभारी मंत्री थे वहां के किलो भर कागज जांच एजेंसी के हाथ लग गए। यही नहीं मंत्री के तीन मातहतो के यहां से ट्रांसफर पोस्टिंग का भी खेल सामने आ गया है।
इस छापे के बाद आदिवासी नेता अलग थलग पड़ गए है। पार्टी में जिस नेता के लिए मुंह और मूंछ खराब किए उनके तरफ से बचाव नही किया गया। अपने आप को उपेक्षित मानने वाले आदिवासी नेता अब भगवा होने जा रहे है ऐसे दिल्ली के सूत्र बता रहे है। बताया जा रहा है कि थोक में पूर्व सांसद, विधायक, नगरीय निकाय के पदाधिकारी कांग्रेस को राम राम कहने का मन बना चुके है। धमाका होने वाला है बस टाइमिंग की प्रतीक्षा है।