उत्तर प्रदेश देश के प्रधान मंत्री बनाने का कारखाना है। इस बात से किसी को इंकार नहीं है। जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ,चौधरी चरण सिंह, चंद्र शेखर,विश्व नाथ प्रताप सिंह, अटल बिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट से विजयी हो कर दिल्ली में सरकार बनाए है। लड़ता है राहुल गांधी के भी दिलो दिमाग में ये बात आई होगी कि इंडी गठबंधन में कांग्रेस को सबसे अधिक सीट मिलने और सरकार बनने की स्थिति में रायबरेली का ठप्पा बेहतर होगा। उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट ने देश को दो प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दिए है।।
तीसरा भी दे सकती थी लेकिन सोनिया गांधी ने बहुत विचार विमर्श के बाद खुद की जगह मन मोहन सिंह का नाम बढ़ा दिया। ये सब जानते और मानते है कि मन मोहन सिंह की सरकार 10,जनपथ से चलती थी। कांग्रेस गठबंधन की सरकार चला रही थी। मन मोहन सिंह के दो आदर्श वाक्य कांग्रेस के लिए सरदर्द बने है।पहला – गठबंधन सरकार की अपनी मजबूरी होती है।दूसरा देश के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।
इन आदर्श वाक्यो के चलते कांग्रेस को जवाब देने में आज भी कठनाई हो रही है और भाजपा ये प्रचार कर रही है कि कांग्रेस के गठबंधन में कौन सी मजबूरी थी और कांग्रेस , अल्पसंख्यकों में केवल मुसलमान परस्त पार्टी है। इस बार राहुल गांधी, अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने खड़े होने के बजाय रायबरेली चले गए है। बड़े ही सुनियोजित ढंग से 2019लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अस्सी सीट में इकलौती रायबरेली की सीट पर जीत दर्ज करने वाली सोनिया गांधी, राजस्थान से राज्यसभा में चली गई। वंशवाद का अगला पौधा राहुल गांधी के रूप में रायबरेली में जमीन की तलाश में पहुंच गया है। पौधा लगेगा या नहीं लगेगा ये चार जून को पता चलेगा।
2022 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस केवल दो विधान सभा चुनाव में जीत दर्ज की है। उत्तर प्रदेश में 387कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई है।रायबरेली विधान सभा से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आई अदिति सिंह विधायक है। शेष चार विधानसभा बछरवां, हरचंदपुर, सरेनी और ऊंचाहार विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक नेतृत्व कर रहे है। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को दस लाख में एक लाख चालीस हजार वोट मिले है। साढ़े छह लाख वोट समाजवादी पार्टी और भाजपा के हिस्से में गई है। अगर समाजवादी वोट कांग्रेस के पक्ष में नहीं पड़ते है तो 2019 में अमेठी और 2024 में रायबरेली से हारने वाले राहुल गांधी,गांधी परिवार के अंतिम चश्म ए चिराग होंगे।