जबलपुर। मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों पर करोड़ों रुपए के घोटाले के आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि बिना नियमों का पालन किए तय रेट से ज्यादा दाम में बिजली खरीदी गई। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने नियामक आयोग से कार्रवाई करने की मांग की है चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर इस पर करवाई नहीं की गई तो वे इस मामले को हाईकोर्ट ले जाएंगे।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक मनीष शर्मा ने विद्युत कंपनियों पर घोटाले के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर तत्काल बिजली खरीदी की गई, उसमें बड़ा घोटाला किया गया है। 27 अप्रैल की रात को तय रेट से 4 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा की दर में 700 मेगावाट बिजली खरीदी गई। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को इस संदर्भ में ईमेल कर मांग की है कि सुमोटो पिटीशन संज्ञान में ले और बिजली कंपनियों से जवाब तलब करें।
यह है पूरा मामला
6 मार्च 2024 को आयोग ने मध्य प्रदेश में विद्युत खरीदी की अनुमति दी गई थी। बिजली कंपनियों ने बताया था कि उन्हें साल भर 97 हजार 318 मीट्रिक यूनिट बिजली की आवश्यकता है। आयोग ने 5 रुपए 73 पैसे प्रति यूनिट रेट तय किए। पीक आवर में अचानक आवश्यकता पड़ने पर भी बिजली के दाम तय किए गए थे।
इसमें कहा गया था कि ओपन मार्केट में जो सस्ती बिजली देगा उससे खरीदी करने के लिए उसे लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया जाएगा। लेकिन 27 अप्रैल की रात जिनसे एग्रीमेंट नहीं था उनसे ऑफर जारी करवाए और 4 रुपए प्रति यूनिट महंगी बिजली उनसे खरीद ली। मनीष शर्मा ने कहा है कि इस मामले में कार्रवाई की जाए वरना उन्हें हाईकोर्ट जाना पड़ेगा।