सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए मामले में दिए फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई टाल दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी। जिसके बाद कोर्ट अब इस मामले पर 3 अक्तूबर को सुनवाई करेगा। यह मामला सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने यह कहते हुए समय मांगा गया कि 9 समीक्षा याचिकाओं में से केंद्र के पास केवल 1 की प्रति है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ लंबित समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई 3 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखा गया था।
हालांकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई टालने का विरोध किया। हालांकि कोर्ट ने सिब्बल की आपत्ति को दरकिनार कर सुनवाई 3 अक्तूबर तक टाल दी। 2022 में दिए गए फैसले में पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने जैसे प्रावधान कायम रखे गए थे। इन्हीं के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह पंजाब सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा। पंजाब सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार से एक हजार करोड़ रुपये की ग्रामीण विकास निधि की बकाया राशि तुरंत जारी करने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि उनकी याचिका 2 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी, लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हो सकी। वकील ने याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि इस बीच केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए भी नोटिस जारी कर दिया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे लेकिन केंद्र को फिलहाल नोटिस जारी करने से मना कर दिया।