बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे में पोर्श कार दुर्घटना मामले में नाबालिग चालक के दोस्त के पिता को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इस दुर्घटना में मई में दो लोगों की मौत हो गई थी। जस्टिस मनीष पिताले ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध के तथ्य पाए गए हैं। आवेदक का नाबालिग बेटा दुर्घटना के समय कार की पिछली सीट पर बैठा था। किशोर चालक के साथ वह भी नशे में था। बता दें कि 19 मई की सुबह पुणे के कल्याणी नगर इलाके में पोर्श कार ने मोटरसाइकिल सवार दो आईटी पेशेवरों को टक्कर मार दी थी। इसमें महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई थी।
पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि मामले में अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन आवेदक फरार है। आवेदक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने कहा कि उनके मुवक्किल पर अधिकतम भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (साक्ष्य को गायब करना या अपराधी को बचाने के लिए गलत जानकारी देना) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है, जो एक जमानती अपराध है।
इस पर सरकारी वकील शिशिर हिरे ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सत्र अदालत ने आवेदक और अन्य सह-आरोपियों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली को सही ढंग से समझा है। इसलिए उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह पता चलता है कि आवेदक के नाबालिग बेटे के रक्त के नमूने बदले गए, ताकि वह बच सके। इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।