कांग्रेस शासन काल में अमरजीत रिक्त रहे एकमात्र पद पर मंत्री बने थे। उनको कोई भी मंत्री विभाग देने के लिए तैयार नहीं था। भारी भरकम मंत्री मो अकबर ने खाद्य मंत्री पद दे दिया। अमरजीत भगत को यूं ही मंत्री नही बनाया गया था। एक सुनियोजित योजना के तहत मुख्य मंत्री कार्यालय के सिपाहसलारों ने टी एस बाबा को कमजोर करने के लिए चुना था। मंत्री बनते ही अमरजीत भगत, बाबा विरोधी संघ के प्रवक्ता बन गए। हर मंच से बाबा को नीचा दिखाना उनका धर्म हो चला था। जब बाबा को दिल्ली वालो ने ढाई साल का मुख्य मंत्री न बना कर आखिर छः माह के लिए उप मुख्यमंत्री बनाया गया और प्रत्याशी चयन समिति में जगह दे दिया तो सबसे बुरे फंसे अमरजीत भगत थे।
गाली देते देते, गले में माला पहनाना भारी मन का सौदा था। विधान सभा चुनाव में ये बात खुले रूप से कही जा रही थी कि निपटाओ निपटाओ का खेल चल रहा है। चार बार से अधिक चुनाव जीतने वाले अमरजीत निपट गए। खुद तो डूबे सनम को भी ले डूबे। कांग्रेस के हार पर मूंछ मुड़वाने का दावा करने वाले एन टाइम पर मुकर गए। यहां वे अपने जुबान से मुकर कर चुल्लू भर पानी में डूब गए। कहते है कि सरगुजा की लड़ाई में अमरजीत के विरोधी खेमे ने साल भर पहले ही दिल्ली को इत्तिला दे दी थी कि परिणाम कुछ भी हो अमरजीत नहीं छूटना चाहिए।
इधर बेखबर अमरजीत भगत कस्टम मिलिंग में राइस मिलर से घटिया चांवल आपूर्ति के नाम पर अरबों रूपये खुले आम ला विस्टा और रोमेंसक्यू के दो घरों में जमा करवा रहे थे। एक अधिकारी जो ओएसडी था वह ये भी भूल गया था कि रोमेंसक्यू का गेटकीपर आई टी विभाग का था। साल भर की रेकी के बाद सारे ठिकाने पता चल गए। इधर सत्ता पलटी उधर छापे पड़ गए। जमीन खरीदी अमरजीत भगत का पसंदीदा विषय रहा है। सात आठ बिल्डर के साथ गोपनीय साझेदारी है। अनाज के दलाल भी है, खाद्य विभाग के चार जिला स्तर के अधिकारी रखवाए गए थे गड़बड़ी करने के लिए।
राजधानी और न्यायधानी में करोड़ो रुपए राशन दुकानों के चांवल घोटाले में वसूले गए है।आयकर विभाग ने कंप्यूटर के सीडीआर से रिकवर कर लिया है। कुछ नोट शीट भी मिली है जिसमे चांवल के गोपनीय कोटा जारी करने और कंप्यूटर सिस्टम में छेड़छाड़ का ब्योरा मिला है। अभी जांच जारी है, दायरा बढ़ेगा और विभाग के अधिकारी हिरासत में लिए जा सकते है।आगे मामला ईडी को देना तय है। आबकारी विभाग के बाद खाद्य विभाग की बारी है.