खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, को पुरानी सरकार के खाद्य मंत्री सहित खाद्य संचालनालय के अफसरों के द्वारा किए गए अरबों रुपए के घोटाला भी प्रभार में मिला है। बघेल जी सीधे सरल व्यक्ति है। अभी विभाग के कार्य प्रणाली को जान नही पाए है और विधान सभा के बजट सत्र के पहले प्रश्न काल का पहला प्रश्न के जवाब देने की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई।प्रश्न पूछने वाले भी पूर्व विधान सभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक थे।
उन्होंने तारांकित प्रश्न के माध्यम से वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष डा रमन सिंह द्वारा पिछले बजट सत्र में प्रश्न क्रमांक 844का उल्लेख करते हुए पिछले खाद्य मंत्री के द्वारा दिए गए आश्वासन के बारे में जानकारी चाही।राशन दुकान में गोदाम क्षमता से अधिक अनाज बचे होने के बावजूद पीछे सरकार के शासन काल में सौ फीसदी कोटा क्यों दिया गया,इसकी जानकारी मांगा। धरम लाल कौशिक ने राशन दुकानदारो के साथ साथ जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई पुलिस कार्यवाही की जानकारी मांगी थी।
विधान सभा में विभाग के होशियार अधिकारियो ने सीधे साधे मंत्री को झूठ का पुलिंदा थमा कर ये मान रहे थे कि उनकी जिम्मेदारी पूरी हो गई। अपने ही दल के दिग्गज पूर्व अध्यक्ष और दो दो कैबिनेट मंत्री के घेरे में खाद्य मंत्री ऐसे आए कि विभाग के अधिकारियों की डिफेंस सिस्टम धराशाई हो गया। खाद्य मंत्री को मानना पड़ा कि 216 करोड़ का घोटाला हुआ है,पूर्व प्रश्नकर्ता डा रमन सिंह के अनुसार ये घोटाला 600करोड़ का था। बड़ी चतुराई से 384 करोड़ के घोटाले को पिछले एक साल में तकनीकी त्रुटि बता कर घालमेल कर लिया गया है।
खाद्य संचालनालय में बैठे अधिकारी कंप्यूटर में छेड़छाड़ कर पुराने पाप धोने में कोई कसर नहीं छोड़े है। इस मामले में लीपापोती कैसे हुई ये भी समझने वाली बात है। विधान सभा में धरम लाल कौशिक,अजय चंद्राकर और राजेश मूणत द्वारा ये पूछे जाने पर कि राशन दुकानों में गोदाम की क्षमता से अधिक चांवल आदि रखे होने के बावजूद किसने कोटा जारी किया,इस पर खाद्य मंत्री से जवाब दिलवाया गया कि “पूर्व संचालक के निर्देश पर कोटा जारी किया गया है। कांग्रेस शासन काल में भुवनेश यादव, अभिनव अग्रवाल, किरण कौशल, सत्यनारायण राठौर, जितेंद्र शुक्ला, सहित खुद अपर संचालक, संचालक प्रभार में रहे है।इन सबको विधान सभा जांच समिति के सामने पेश होना पड़ेगा।
पूर्व मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने विधान सभा के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि 65हजार मेट्रिक टन चांवल कम पाया गया है और 15हजार मेट्रिक टन चांवल की वसूली हो चुकी है। मुख्य मंत्री आमतौर पर किसी विभाग की जिम्मेदारी नहीं लेते लेकिन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को डिफेंड किए। खाद्य संचालनालय के अधिकारी ने मैदानी अमले पर दबाव डाल कर पहले राशन दुकानदारो के खिलाफ राजस्व वसूली का आदेश जारी करवाया गया। इस आदेश के अनुसार जितनी चावल आदि की मात्रा निकली उसे रिकवरी मान लिया।इसके बाद राशन दुकानदारो के नागरिक आपूर्ति निगम में जमा कमीशन राशि को उनके अनुमति के बगैर अवैध रूप से काट लिया गया। तीसरा तरीका अजब है।राशन दुकानदारों से शपथ पत्र ले लिया और जो मात्रा शपथ पत्र में जमा करने का शपथ किया गया उसे वसूली मान ली गई।
चौथा तरीका राज्य में लागू छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2017के नियमो की धज्जियां उड़ाने वाला है। राशन दुकानदारों को विभाग के मैदानी अमले से पुलिस में केस का दबाव डलवाकर बाजार से चांवल शक्कर खरीद कर रखवाया गया। आश्चर्य की बात ये है कि राशन दुकानों में केवल और केवल एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम ही चांवल आदि नियमानुसार देने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिकृत है। रायपुर के कम से कम 10 दुकानदारों ने 500-600 क्विंटल चांवल बाजार से खरीद कर रखवा दिए है।इसका कोई प्रमाण नहीं है क्योंकि उनके गोदाम में इतना चांवल रखने की जगह ही नहीं है। किससे चांवल खरीदे बिल कहां है ये सब गड़बड़ घोटाला है। ये भी मान लिया जाए कि चांवल खरीद भी लिया तो उस राशन दुकान को कोटा क्यों दिया गया?
विधान सभा की जांच समिति के द्वारा बड़ी गंभीरता के साथ इस घोटाले की जांच करेंगे ऐसी अपेक्षा की जा रही है। खाद्य विभाग अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश चंद्र गुलाटी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि उनके द्वारा प्रधान मंत्री, केंद्रीय खाद्य मंत्री,महामहिम राज्यपाल,मुख्यमंत्री विष्णु देव साय,खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल को पत्र लिख कर मांग किया है कि खाद्य संचालनालय में अपर संचालक राजीव कुमार जायसवाल के रहते निष्पक्ष जांच नही हो सकती है अतः विधान सभा समिति के जांच प्रारंभ होने से पहले अपर संचालक को हटाया जाकर निष्पक्ष जांच की जाए। श्री रमेश चंद्र गुलाटी ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि वे विधान सभा जांच समिति को घोटाले से संबंधित समस्त दस्तावेज सौप कर जांच कार्य में स्वैच्छिक सहयोग करेंगे