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‘मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी को अरेस्ट नहीं कर सकती ED, अगर…’, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि स्पेशल कोर्ट ने अगर शिकायत पर संज्ञान ले लिया है तो फिर जांच एजेंसी ईडी पीएमएलए के प्रावधानों यानी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में साफ किया है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग केस में किसी आरोपी को ईडी ने जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया है और पीएमएलए कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेकर उसे समन जारी करता है, तो उसे कोर्ट में पेश होने के बाद पीएमएलए के तहत जमानत की दोहरी शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी सूरत में अगर ईडी को उस आरोपी की हिरासत चाहिए तो जांच एजेंसी को कोर्ट से ही कस्टडी की मांग करनी होगी. अदालत तभी आरोपी की कस्टडी ईडी को देगी, जब एजेंसी के पास पूछताछ की जरूरत को साबित करने के लिए पुख्ता कारण होंगे. बता दें कि पीएमएलए में जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान है, जिसके कारण आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल होता है.

जस्टिस अभय एस ओकया और उज्जल भुयान की पीठ ने कहा, ‘अगर आरोपी समन (अदालत द्वारा जारी) के जरिए विशेष अदालत के समक्ष पेश होता है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है.’ पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘जो आरोपी समन के बाद अदालत में पेश हुए, उन्हें जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है और इस प्रकार उस पर पीएमएलए की धारा 45 की जुड़वां शर्तें लागू नहीं होती हैं.’

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