रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ट्विटर पर नक्सलियों से जुड़े कुछ दिलचस्प आंकड़े जारी किये हैं। सीएम साय ने दावा किया हैं कि उनकी सरकार नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रही है। प्रदेश से नक्सलवाद का खात्मा ही उनका लक्ष्य है।
आधिकारिक ‘एक्स’ आकउंट से शेयर किये गए ट्वीट पर बताया गया हैं कि सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश से नक्सलवाद का सफाया बड़ी तेजी से हो रहा हैं। उन्होंने बताया हैं कि बीते पांच महीने के कार्यकाल में ही 120 नक्सली मारे जा चुके हैं, 153 नक्सलियों के गिरफ्तारी हुई जबकि 375 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया हैं।
लगातार जारी हैं एनकाउंटर
बता दें कि पिछले कुछ महीने में सरकार ने नक्सल उन्मूलन की दिशा में बेहद तेजी से कदम बढ़ाये हैं। एक तरफ सरकार जहाँ नक्सलियों से लगातार वार्ता की अपील का रही हैं तो दूसरी तरफ सशस्त्र नक्सलियों को काबू करने और क्षेत्र को नक्सलमुक्त करने के लिए मुठभेड़ भी किये जा रहे हैं। गृह विभाग के निर्देश पर पुलिस और सुरक्षाबलों ने बस्तर के उन अति संवेदनशील क्षेत्रों में भी अपनी पहुँच सुनिश्चित की हैं जहां पहुँच पाना अब तक असंभव था।पुलिस ने अबूझमाड़ क्षेत्र में कई भीषण मुठभेड़ को अंजाम दिया और दर्जनों नक्सलियों को मार गिराने में कामयाबी पाई।
लगातार जारी एनकाउंटर से घबराये नक्सली भी आत्मसमर्पण के लिए विवश हुए। इस तरह के अभियानों की सबसे बड़ी सफलता यह रही कि पुलिस के जवानों को किसी तरह की हानि नहीं हुई। ऐसे में सरकार के हौसले बुलंद हैं। हालाँकि गृह मंत्री का दावा हैं कि वह मुठभेड़ के बजाये शान्ति वार्ता के साथ नक्सल समस्या का समाधान चाहते हैं। यह उनकी प्राथमिकता भी हैं। उन्होने आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दिनों पुनर्वास नीति में बदलाव का भी ऐलान किया था।
छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित बस्तर संभाग में नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान के तहत सुरक्षा बल के जवानों को बड़ी सफलता मिली है। कल यानी शनिवार को बीजापुर में दो महिला समेत 33 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया हैं। सरेंडर करने वाले दो सशस्त्र माओवादियों पर दो-दो लाख और एक नक्सली पर एक लाख का इनाम घोषित था। बीजापुर पुलिस अधीक्षक ने मीडिया से नक्सलियों के आत्मसमर्पण की जानकारी साझा की है।
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ.जितेन्द्र यादव ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में राजू हेमला और सामो कर्मा पर दो पीएलजीए सदस्य थे। इन दोनों पर सरकार ने दो-दो लाख रुपये का इनाम रखा हुआ था। सुदरू पुनेम जनताना सरकार अध्यक्ष था। इस पर भी एक लाख का इनाम घोषित था।