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मूंछें न हो अमरजीत भगत जैसी

शराबी फिल्म में मुकरी नाम के एक चरित्र अभिनेता थे।फिल्म में उनका नाम नत्थूलाल था। अमिताभ बच्चन का एक डायलॉग बड़ा मशहूर हुआ था कि मूंछें हो तो नत्थुलाल जैसी हो अन्यथा न हो। छत्तीसगढ़ में मूंछें हुआ करती थी। पहले मूंछ वाले थे दिलीप सिंह जूदेव, उन्होंने चुनाव में भाजपा के न जीतने पर मूंछ दांव पर लगा दिया था तब भाजपा जीत गई और दिलीप सिंह जूदेव विख्यात हो गए। मूंछ, स्वाभिमान के साथ साथ प्रतिष्ठा का भी चिन्ह बन गई।

2008 से लेकर 2018 तक के चुनाव में किसी भी व्यक्ति ने मूंछें दांव पर नहीं लगाई। 2018में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भारी बहुमत से सत्ता में आई। स्वाभाविक था कि 15 साल बाद आए थे। 2018 से लेकर 2022 के हर विधान सभा उप चुनाव में मिलती जीत से आत्म विश्वास बढ़ना स्वाभाविक था। इसी बढ़े आत्म विश्वास में सरगुजा के सीतापुर से लगातार चार बार विधायक बनने वाले पूर्व खाद्य मंत्री ने 2023मे कांग्रेस की सत्ता आने के नाम पर मूंछें दांव पर लगा दी। उन्हे अंदाजा नहीं था कि कांग्रेस आखरी साल में टीएस बाबा को उप मुख्यमंत्री बना देगी। चुनाव समिति में सदस्य बना देगी। सरगुजा ही आपसी झगड़े का केंद्र बन गया। 14 के 14 सीट हार गए। 1956के बाद सीतापुर की सीट से कांग्रेस भाजपा से नही हारी थी।सीतापुर में राम राम चल गया और सेना के जवान के सामने अमरजीत, अमर नहीं रह पाए।

Free में Animal को Download करने की न करें गलती

हार के बाद मूंछ मुड़ाने वाला वीडियो वायरल हो गया है।आज एक और वीडियो आया जिसमे अमरजीत भगत मूंछें मुड़वाने के दावे से पलटने के लिए कई आड़ ले रहे है। नंद कुमार साय का भी आड़ लिए जो न घर के रहे न घाट के। अमरजीत भगत के बयान से ये स्पष्ट हो गया है कि वे मूंछ नहीं मुड़ा रहे है।इसका दूसरा मतलब ये भी है कि उनकी बातों का कोई भरोसा नहीं है, इसी कारण उनके क्षेत्र के मतदाता उन पर भरोसा नहीं किए। सही में मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी हो अन्यथा न हो।

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