दिल्ली- एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बुधवार (11 सितंबर) को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 मापी गई और इसका केंद्र पाकिस्तान रहा. गनीमत ये रही कि भूकंप में किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है.
भूकंप के झटके उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान , हरियाणा और जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में भी महसूस किए गए. वहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी भूकंप से धरती हिली. बता दें कि दो हफ्तों में ये दूसरी बार है जब दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.
पाकिस्तान के इस्लामाबाद और लाहौर में भी भूकंप के झटके से धरती हिलने की बात कही जा रही है. भूकंप से लोगों में दहशत फैल गई और वो अपने घरों से बाहर निकल आए. सोशल मीडिया पर कई भी वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग घरों और अपने कार्यालयों से बाहर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. भूकंप बुधवार (11 सितंबर) दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर आया और पाकिस्तान में इसकी गहराई 33 किमी थी जिसकी जानकारी सिस्मो डॉट जीओवी ने दी.
पृथ्वी की सतह के नीचे या या कहे कि धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है. धरती के अंदर मौजूद प्लेटें लगातार आपस में टकराती या दूर खिसक रही होती हैं. इसी के चलते हर साल भूकंप आते रहते हैं. भूकंप को समझने से पहले हमें धरती के नीचे मौजूद प्लेटों की संरचना को समझना चाहिए. एक जानकार ने बताया कि धरती में 12 टैक्टोनिक प्लेटें होती हैं. इन प्लेटों के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है.
बता दें कि धरती की सतह के नीचे की वह जगह जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं. भूकंप का केंद्र कहलाता है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं. इस केंद्र से ही ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप आता है. यह कंपन एकदम उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगें फैलती हैं. विज्ञान के मुताबिक धरती के केंद्र और भूकंप के केंद्र को आपस में जोड़ने वाली रेखा जिस स्थान पर धरती की सतह को काटती है, उस जगह को ही भूकंप का अभिकेंद्र या एपिक सेंटर कहा जाता है.