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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समरोह में भी बंटे थे तिरूपति मंदिर के 300 किलो लड्डू, आचार्य सत्येंद्र दास ने जताई नाराजगी

Tirupati Laddu Row : तिरूपति मंदिर के ‘प्रसादम’ यानी लड्डुओं को तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले घी में पशु चर्बी होने की बात सामने आने पर देश भर में भक्तों और लोगों में गुस्सा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अब अयोध्या स्थित राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने लडुड्ओं में पशु चर्बी वाले घी का इस्तेमाल होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। सत्येंद्र दास ने कहा कि इसी साल जनवरी में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के दौरान तिरुपति मंदिर से 300 किलोग्राम प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया था।

अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रसाद (लड्डू) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु चर्बी मिलाए जाने के मामले पर नाराजगी जताई है। दास ने कहा, ‘यदि लड्डू में पशु चर्बी मिलाई गई थी, तो यह अक्षम्य है। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’ श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने शुक्रवार को प्रयोगशाला रिपोर्ट का हवाला देते हुए घी में पशु की चर्बी और अन्य अशुद्धियां होने का दावा किया।

दास ने कहा, ‘वैष्णव संत और भक्त लहसुन और प्याज का भी उपयोग नहीं करते हैं, ऐसे में प्रसाद में चर्बी का उपयोग बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हिंदू आस्था का मजाक है। एक बड़ी एजेंसी को इसकी जांच करनी चाहिए और दोषी पाए जाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।’ दास ने यह भी पुष्टि की कि इस साल जनवरी में राम मंदिर के अभिषेक समारोह के दौरान तिरुपति मंदिर से 300 किलोग्राम प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया था।

तिरूमाला तिरूपति देवस्थान (टीटीडी) के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर शामला राव ने शुक्रवार को कहा कि राव ने कहा, ‘मंदिर के घी का टेंडर पाने के लिए कारोबारी जो रेट दे रहे थे, वह व्यावहारिक नहीं था। उनका रेट इतना कम था कि कोई भी यह कह सकता है कि इस कीमत में गाय का शुद्ध घी नहीं मिल सकता। इसके बाद हमने घी की आपूर्ति करने वाले सभी आपूर्तिकर्ताओं को चेतावनी जारी कि यदि उनका घी लैब टेस्ट में पास नहीं हुआ तो उन्हों काली सूची में डाल दिया जाएगा। हमने घी के सभी नमूनों को जांच लिए लैब भेजा। यह सरकारी लैब है। इस लैब से रिपोर्ट आ गई है और यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है।’

राव ने बताया कि लैब से जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक घी के सैंपल में मिलावट पाई गई। इसमें वेजिटेबल ऑयल और पशुओं की चर्बी की मिलाई गई है। सैंपल में सूअर की चर्बी, पॉम ऑयल, भैंस की चर्बी, मछली के तेल, अंगूर के बीज और तीसी के तेल की मिलावट पाई गई। इस घी को इन सभी के मिश्रण से तैयार किया गया था। दरअसल, शुद्ध दूध के फैट 95.68 से 104.32 के बीच होना चाहिए लेकिन हमारे घी के सभी सैंपल की वैल्यू 20 के आसपास थी।

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