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SC: जमानत के लिए यूट्यूब चैनल बंद करने की हाईकोर्ट की शर्त को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गलत, यूट्यूबर को दी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के एक निर्देश को अनुचित और असंगत करार दिया। दरअसल, हाईकोर्ट ने यूट्यूबर फेलिक्स जेराल्ड को जमानत देने की शर्तों के तहत उसे अपना एक चैनल ‘रेडपिक्स 24×7’ बंद करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने जेराल्ड को जमानत देने के अपने छह सितंबर के आदेश की भी पुष्टि की। सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगा दी थी, जिसमें यूट्यूबर को जमानत देने की शर्तों के तहत चैनल बंद करने का निर्देश दिया गया था।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और चैनल को बंद करने के विशेष निर्देश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, न्यायालय ने उनसे जमानत की अन्य शर्तों का पालन करने को कहा था।

पीठ ने यूट्यूबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन की दलीलों का संज्ञान लेने के बाद छह सितंबर के जमानत आदेश की पुष्टि कर दी। पीठ ने कहा कि उसके पहले के आदेश के बाद जेराल्ड को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जमानत की एक शर्त, जिसमें उन्हें अपना यूट्यूब चैनल बंद करने के लिए कहा गया था, वह अनुचित और असंगत थी और हमने तदनुसार उस शर्त को हटा दिया है। हालांकि, अन्य शर्तों का अभी भी पालन करना होगा।

जेराल्ड को अपने यूट्यूब चैनल पर एक अन्य यूट्यूबर सवुक्कू शंकर का ‘आपत्तिजनक’ साक्षात्कार प्रसारित करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। शंकर ने मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और राज्य की महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ साक्षात्कार के दौरान कुछ टिप्पणियां की थीं। हाईकोर्ट ने दोनों यूट्यूबर को जमानत देते हुए जेराल्ड को एक शर्त के रूप में अपना चैनल बंद करने को कहा था।

प्रधान न्यायाधीश ने छह सितंबर को कहा था, ‘आप न्यायपालिका और सभी महिला आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगा रहे हैं। आप इस तरह के साक्षात्कार क्यों करते हैं?’ यूट्यूबर की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा था कि इस तरह का साक्षात्कार नहीं दिखाया जाना चाहिए था। वरिष्ठ वकील ने साथ ही कहा था कि चैनल के 24 लाख ‘सब्सक्राइबर’ हैं और इसे बंद करने का निर्देश कठोर है। पीठ ने कहा था कि वह जेराल्ड की याचिका को सवुक्कु शंकर द्वारा दायर लंबित याचिकाओं के साथ नहीं जोड़ेगी।

इससे पहले शंकर ने राज्य पुलिस द्वारा अपनी हिरासत के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। न्यायालय ने 30 अगस्त को तमिलनाडु सरकार से कहा था कि वह शंकर को कई आपराधिक मामलों के सिलसिले में रिहा किए जाने के तुरंत बाद हिरासत में लिए जाने के पीछे के कारणों से उसे अवगत कराए।

48 साल के शंकर को कोयंबटूर पुलिस ने चार मई को दक्षिणी थेनी में एक यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में महिला पुलिसकर्मियों के बारे में 30 अप्रैल को कथित अपमानजनक बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यूट्यूबर के खिलाफ थेनी पुलिस ने कथित तौर पर ‘गांजा’ रखने का मामला भी दर्ज किया है। शंकर को सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रिहा कर दिया गया था, लेकिन 12 अगस्त को उन्हें राज्य पुलिस ने फिर से हिरासत में ले लिया।

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