बिलासपुर। राजस्व विभाग में हुए हुए तबादलों के बाद सिमगा तहसीलदार नीलमणि दुबे समेत डेढ़ दर्जन तहसीलदारों को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है. स्टे के बाद अब इन अफसरों ने ट्रांसफर के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है.
सिमगा तहसीदार नीलमणि दुबे ने तबादला सूची जारी पर होने के बाद नियमों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए शासन के खिलाफ मोर्चा खोला था. उनके निलंबन के बाद अन्य तहसीलदारों ने भी हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें तकरीबन सभी को स्टे मिल गया. प्रदेश में हुए तबादलों में खामियां हैं. कई नायब तहसीलदारों को प्रोबेशन पीरियड में ही स्थानांतरित कर दिया गया. नियमों का उल्लंघन करते हुए कम समय में बार-बार स्थानांतरित किया गया.
बता दें कि प्रदेश सरकार ने बीते 13 सितंबर को 49 तहसीलदार और 51 नायब तहसीलदारों की तबादला सूची जारी की थी, जिसके बाद प्रदेश स्तर पर बवाल होने लगा. आरोप लगाया गया था कि इस प्रक्रिया में पैसों का लेनदेन हुआ है. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रभावित अधिकारियों को 45 दिनों के भीतर शासन के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करना होगा, इसके अलावा शासन को एक कमेटी का गठन कर इन तबादलों की समीक्षा करने कहा गया है.
स्टे पाने वाले अधिकारी
हाईकोर्ट से तबादला में स्टे मिलने वालों अधिकारियों में अभिषेक राठौर, बिलासपुर. नीलमणि दुबे, बलौदाबाजार. पोखन टोंडरे, बलौदाबाजार. प्रेरणा सिंह, रायपुर राजकुमार साहू, रायपुर राकेश देवांगन, रायपुर. जयेंद्र सिंह रायपुर. राजकुमार साहू, रायपुर प्रियंका, जांजगीर-चांपा. गुरु दत्त पंचभाई दुर्ग. सरिता मड़रिया, बेमेतरा. दीपक चंद्राकर, बालोद, विपिन बिहारी पटेल, तिल्दा. कमलवाती, बिलासपुर. माया अंचल, बिलासपुर और दीपक चंद्राकर पलारी, शामिल है.