बिलासपुर में इस बार धनतेरस पर्व पर जमकर खरीदारी हुई। ऑटोमोबाइल से लेकर सराफा बाजार सहित शहर में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस पर्व पर 500 रुपए का कारोबार होने का अनुमान है। वहीं, एक ही दिन में 30 करोड़ रुपए के पटाखों की बिक्री होने के दावे भी किए जा रहे हैं। सोना महंगा होने के बाद भी सोने-चांदी के सिक्कों व मूर्तियों की बाजार में डिमांड रही। वहीं, ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी लोगों को च्वाइस के अनुसार मॉडल और कलर मिलना मुश्किल हो गया।
मंगलवार से दीपोत्सव का पर्व शुरू हो गया है। धनतेरस पर्व पर शुभ मुर्हूत में खरीदारी करना विशेष शुभ दिन माना गया है। यही वजह है कि लोगों ने मंगलवार को जमकर खरीदारी की। इस दिन धातु खरीदना शुभ माना जाता है, इसलिए बर्तन बाजार में भी रौनक छाई रही। गोलबाजार और शनीचरी बाजार स्थित बर्तन दुकानों में सुबह से लेकर देर शाम तक ग्राहक पहुंचते रहे और अपने पसंद की खरीदारी करते रहे। वहीं, पर्व पर तांबे, पीतल और कांसा के बर्तनों की जमकर बिक्री हुई।
महंगाई का असर, सराफा मार्केट रहा डाउन
इस बार सोने-चांदी की कीमती में भारी उछाल आ गया है। सोना 81 हजार से अधिक तोला पहुंच गया है। वहीं, चांदी करीब 90 हजार रुपए किलो है। बावजूद इसके सराफा बाजार में सोने-चांदी के सिक्के और छोटे आभूषण जैसे झुमके, अंगूठी जैसे गहनों की जमकर बिक्री हुई। धनतेरस पर्व पर शुभ मुहूर्त पर लोग अपनी जरूरत के अनुसान सोने-चांदी के आभूषण खरीदते नजर आए। सराफा व्यापारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सोनी ने बताया कि धनतेरस से पहले इस शुभ दिन के आने से सराफा व्यापार में तेजी और चमक रही। लेकिन, बाजार में महंगाई का असर देखने को मिला। इस बार सराफा बाजार में करीब 50 करोड़ रुपए का व्यवसाय का अनुमान है।
इलेक्ट्रॉनिक आइटम की बढ़ी डिमांड
शहर के तेलीपारा और जूना बिलासपुर के इलेक्ट्रानिक बाजारों में सजावटी लाइट की नई-नई वेराइटियां लेने के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही। इसके साथ ही टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसी घरेलू उपयोग की वस्तुओं की जमकर खरीदी हुई। बड़े इलेक्ट्रिकल स्टोर्स पर पूरे दिन ग्राहकों की भीड़ नजर आई।
एक ही दिन में बिके 30 करोड़ रुपए के पटाखे
दिवाली के लिए शहर में अलग-अलग जगहों पर पटाखा बाजार सजा है। ऐसे फैंसी पटाखें बाजार में नजर आ रहे हैं, जो आसमान में सतरंगी छटा बिखरेंगे। बच्चों के लिए पॉप-पॉप और चुटपुट सहित फैंसी पटाखों की नई-नई किस्में उपलब्ध है। बच्चों के ये छोटे पटाखे भी कई रंगों में आए हैं। वहीं फूलझड़ी, फ्लावर पाट, राकेट, लड़ के साथ ही धमाका करने वाले बड़े बम भी है। इस बार शहर के तीन प्रमुख स्थानों में पटाखा बाजार लगाया गया है। इसमे मुंगेली नाका स्थित ग्रीन पार्क मैदान में 52, सीएमडी कालेज मैदान में 47 और बुधवारी बाजार में थाने के सामने 68 दुकाने लगाई गई है। मंगलवार को सुबह से लेकर देर रात तक तक पटाखा बाजार गुलजार रहा। इस दौरान लोग अपनी-अपनी पसंद के पटाखे खरीदने के लिए जुटे रहे। एक ही दिन में 30 करोड़ रुपए के पटाखों की बिक्री होने का दावा किया जा रहा है।
स्काईशॉट और बियरकेन वाले अनारदानों की बढ़ी डिमांड
पटाखा व्यापारी शरद खैरवार ने बताया कि फैंसी पटाखा में सिंगल स्काई शाट, 12, 60, 120 और 240 आवाज की डिमांड अधिक है। इसके साथ ही अनारदाने पटाखों की भी कई वेराइटियां है, जिसमें बियर केन वाले पटाखों की डिमांड ज्यादा है, जो आसमान में जाकर अपनी सतरंगी छटा बिखेरता है। इसी तरह राकेट में डबल साउंड, ग्रीन लाइट राकेट, विसिल्लस की मांग है। बच्चों के पटाखों में सबसे ज्यादा डिमांड चुटपुट, पुटपुट और सांप की है। अन्य पटाखों में कई रंगों के आनारदाने, फूलझड़ी, लड़ और छोटे से लेकर बड़े बम की मांग है।
न्यायधानी में नरक चतुर्दशी का पर्व बुधवार को उत्साह से मनाया जाएगा। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन दीपक जलाने की परंपरा, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और घर को सजाने का खास महत्व है। शहर के घरों और गलियों में दीपों की चमक और उल्लास का माहौल देखा जाएगा। जो इस पर्व को और खास बना देता है। नरक चतुर्दशी को रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस अवसर पर लोग सुबह उठकर स्नान करते हैं और खुद को नकारात्मकताओं से दूर करने का संकल्प लेते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले स्नान कर घर की साफ-सफाई की जाती है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है। दीप जलाकर घर के कोनों और द्वारों को रोशन किया जाता है ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो सके। इस दिन लोग दीप जलाते हैं, जिन्हें यम दीप कहा जाता है, ताकि परिवार हर विपदा से बच सके।
दीपों से सजेंगे आंगन
शाम को घरों के आंगन और द्वारों को दीपों से सजाया जाएगा। इस अवसर पर मिट्टी के दीयों का विशेष महत्व है, और लोग अपने परिवार के साथ मिलकर दीपों की रोशनी में अपनी खुशियों को साझा करते हैं। घरों में पकवान बनाए जाएंगे और मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाएगा। नरक चतुर्दशी की रात बिलासपुर में दीपों की जगमगाहट और उत्साह का रंग देखने लायक होता है जो दिवाली के आगमन का भी संदेश देता है।