रायपुर दक्षिण विधान सभा उप चुनाव में कांग्रेस, जो पिछड़ों की राजनीति देश दुनिया में कर रही है उस पार्टी ने ब्राह्मण आकाश शर्मा को टिकट क्यों दिया, इसकी चर्चा पूरे छत्तीसगढ़ में है। भाजपा ने मीनल चौबे, मृत्युंजय दुबे और सुभाष तिवारी के ब्राह्मण होने के बावजूद टिकट क्यों नहीं दिया और सुनील सोनी को चुनाव में उतार दिया, इसकी भी चर्चा है। रायपुर दक्षिण विधान सभा क्षेत्र में ब्राह्मण पारा, सुंदर नगर, अश्वनी नगर, प्रोफ़ेसर कालोनी, चंगोराभाठा ब्राह्मण बहुल क्षेत्र है। कांग्रेस के वर्तमान प्रत्याशी आकाश शर्मा सुंदर नगर से आते है। भाजपा की मीनल चौबे और मृत्युंजय दुबे दोनों नगर निगम में भाजपा का प्रतिनिधित्व करते है, सुभाष तिवारी भी वार्ड राजनीति में पुराने चेहरे है। इनमें से किसी को भी विधान सभा चुनाव के लिए योग्य नहीं माना गया।
कहा जाता है कि भाजपा मनोज शुक्ला में भी संभावना देख रही थी, पिछले कई सालों से मनोज शुक्ला, बृजमोहन अग्रवाल के करीबी माने जाते है। लोकसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल के नाम आने के बाद लोग ये मान कर चल रहे थे कि रायपुर दक्षिण से ब्राह्मण प्रत्याशी की मांग पूरी होगी। मीनल चौबे, मृत्युंजय दुबे, सुभाष तिवारी या मनोज शुक्ला में से ही एक प्रत्याशी होगा। कांग्रेस और भाजपा के संगठन में रायपुर दक्षिण के कद्दावर ब्राह्मण नेताओं ने बकायदा प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से बात भी रखी थी। कांग्रेस ने तो संभावित प्रत्याशियों में केवल ब्राह्मण नाम प्रमोद दुबे, ज्ञानेश शर्मा, आकाश शर्मा ही रखा और टिकट भी दिया लेकिन भाजपा ऐसा क्यों न कर सकी।
शायद आठ चुनाव जीतने की निरंतरता ने बृजमोहन अग्रवाल को कद्दावर नेता बना दिया है, वे मानकर चल रहे है कि रायपुर दक्षिण में चुनाव उनके नाम का होगा, चयन उनका होगा, मतदाता उनके नाम से मत देंगे। इसी कारण वर्ग चयन में पसंदीदा व्यवसायी का चयन हुआ है। दिवाली होने के कारण प्रचार का आत-पता नहीं है। सत्तारूढ़ दल के मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी, मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित बड़े नेताओं ने दक्षिण से दूरी बनाई हुई है। ये भी चर्चा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने के रिकार्ड को भी लेकर संशय है कि ऊंट कही दूसरे करवट न बैठ जाए जैसा कवर्धा में हुआ था। मोहम्मद अकबर 2018 का चुनाव 59 हजार वोट से जीते थे और 2023 का चुनाव 42 हजार वोट से हार गए थे। वोटर्स की मानसिकता पढ़ना कठिन है।