रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के लिए सिर्फ एक सप्ताह बच गए है। त्यौहार के चलते चुनावी माहौल ठंडा पड़ा था लेकिन आज से माहौल में बदलाहट दिखेगी, ऐसा माना जा रहा है। कांग्रेस के समर्थक ये मान कर चल रहे है कि रायपुर नगर निगम के पूर्व महापौर और रायपुर लोकसभा के पूर्व सांसद के लिए जैसा शुरुआत में वॉक ओवर दिख रहा था वैसा बीते एक सप्ताह में बेमानी साबित हुआ है।
रायपुर दक्षिण में कांग्रेस के पास जो समीकरण है उसके हिसाब से ऊंट करवट बदल रहा है। बृजमोहन अग्रवाल, स्वीकृत प्रत्याशी थे जिन्हें ब्राह्मणों का एक तरफा वोट मिलता था और यही उनके जीत के अंतर को बढ़ाते गया था। बृजमोहन अग्रवाल की सक्रियता का कोई मिसाल नहीं था लेकिन वर्तमान भाजपा प्रत्याशी की कार्य शैली रायपुर जाहिर है। महापौर और सांसद रहते हुए सालों गुजार दिए लेकिन पहचान नहीं बना सके। उनके पुराने कार्यकाल आकाश शर्मा के लिए शक्ति देने वाला बन रहा है। कांग्रेस का मानना है कि रायपुर दक्षिण के ब्राह्मण और मुसलमान वोट उनको मिलेंगे क्योंकि मुसलमान वोट कांग्रेस के परंपरागत वोट है और भाजपा के द्वारा ब्राह्मण उपेक्षा के चलते ब्राह्मणों में ध्रुवीकरण बढ़ते जा रहा है।
ये चुनाव युवा और प्रौढ़ के बीच का हो रहा है। आकाश शर्मा ने भाजपा के किले में सेंध तो लगा दी है। जीत हार का नतीजा जो भी हो लेकिन भाजपा के बजाय सोनी को बृजमोहन अग्रवाल का प्रत्याशी बताए जाने से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ-साथ संगठन भी किनारा किए हुए दिख रहा है। मंत्री, विधायक दूर से नजरे लगाए है, उन्हें सीमा रेखा से बाहर रखा जाकर चुनाव पार्टी के बजाय व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आन खड़ा है।