लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार को MUDA साइट आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से पूछताछ की। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया एक समन के जवाब में लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए और लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) टीजे उदेश के नेतृत्व वाली टीम के सवालों के जवाब दिए। लोकायुक्त के एक अधिकारी ने बताया कि पूछताछ करीब दो घंटे तक चली।
इस बीच मैसूर में लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश होने पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकायुक्त सीबीआई की तरह एक स्वतंत्र एजेंसी है। मैंने लोकायुक्त द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं। मेरे जवाब को लोकायुक्त ने रिकॉर्ड कर लिया है। वे आगे की जांच करेंगे। मेरी पत्नी ने उन साइटों को यह कहते हुए वापस कर दिया है कि मेरे खिलाफ आरोप हैं।
लोकायुक्त पुलिस की प्राथमिकी में आरोपी संख्या एक के रूप में नामित मुख्यमंत्री पर एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी पार्वती बीएम को 14 जगहों का आवंटन किए जाने में अनियमितताओं का आरोप है। 25 अक्तूबर को उनकी पत्नी से पूछताछ की गई थी, जिन्हें आरोपी संख्या दो बनाया गया है। सिद्धरमैया, उनकी पत्नी, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू और अन्य का नाम मैसूर स्थित लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई प्राथमिकी में दर्ज है। देवराजू से स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी। स्वामी और देवराजू पहले ही लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हो चुके हैं।
इस बीच विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा विधायक टीएस श्रीवत्स के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने सिद्धारमैया की आलोचना की और उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तथा जांच का सामना करने को कहा।
इस बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की दायर उस रिट याचिका पर सिद्धारमैया और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें मामले में जांच का जिम्मा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 26 नवंबर को करेगी।
दरअसल, मुख्यमंत्री ने एमयूडीए स्थल आवंटन मामले के संबंध में एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए 24 अक्तूबर को हाईकोर्ट की खंडपीठ के सामने अपील की थी। इससे पहले न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने 24 सितंबर को मुख्यमंत्री की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने इस मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से मंजूरी दिए जाने को चुनौती दी थी।