बिलासपुर: भू अभिलेख शाखा से रिकार्ड गयाब होने के मामले में डिप्टी कलेक्टर जय उरांव को हाई कोर्ट की डबल बेंच से राहत मिली है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के दो महत्वपूर्ण फैसले जिसमें सरकारी जमीन की अफरा-तफरा में हाथ काला करने वाले तब के अतिरिक्त तहसीलदार और वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर व एक सरपंच के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इन दोनों फैसले पर जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक रोक लगा दी है. डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर त्रुटि पाते हुए यह आदेश जारी किया है.
याचिकाकर्ता लक्ष्मी वैष्णव ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए अपील की है, मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच को बताया गया, कि सिंगल बेंच ने न्यायालयीन अवमानना का दोषी पाते हुए उसे सरपंच पद से हटाते हुए अमरिका बाई अजगले को ग्राम पंचायत का कार्यवाहक सरपंच नियुक्त करने का निर्देश जारी किया है. ऐसा आदेश या निर्देश न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत पारित नहीं किया जा सकता है. याचिकाकर्ता को बहुमत से कार्यवाहक सरपंच के रूप में विधिवत चुना गया था और 16.01.2024 से वह बिना किसी चूक के अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है. इसलिए 18.09.2024 को सिंगल बेंच द्वारा जारी विवादित आदेश के प्रभाव और संचालन पर अन्य पक्षों को नोटिस दिए जाने तक रोक लगाई जाए.
इधर अमरिका बाई अजगले के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अवमानना मामले में पक्षकार नहीं है और अवमानना मामले में अवमाननाकर्ता ने 23.04.2024 को पारित सिंगल बेंच के आदेश का पालन नहीं किया है, इसलिए अवमानना न्यायालय ने सही ढंग से आदेश पारित किया है और यह अपील स्वीकार्य खारिज किए जाने योग्य है.
मामले में दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि हमने दोनों पक्षों की दलील सुनी और कोर्ट द्वारा पारित 18.09.2024 के विवादित आदेश का भी अवलोकन किया है. अवमाननाकर्ता को सरपंच पद से हटाने का निर्देश जारी किया गया था और याचिकाकर्ता के अनुसार, वह जनवरी, 2024 से काम कर रही है. मामले में अंतरिम उपाय के रूप में, यह निर्देश दिया जाता है कि 18.09.2024 के आदेश का प्रभाव और संचालन सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा.
वहीं डिप्टी कलेक्टर जय शंकर उरांव के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच से कहा कि याचिकाकर्ता उस समय उस पद पर तैनात नहीं था, जब सिंगल बेंच द्वारा 12.08.2024 को आदेश पारित किया गया था. यहां तक कि अवमानना मामले में 25.10.2024 को विवादित आदेश पारित करने के समय भी याचिकाकर्ता कहीं और पदस्थ था. सरकारी मजीन की हेरा-फेरी के संबंध में मुख्य आरोप संबंधित न्यायालय के रीडर के खिलाफ है कि उसने संबंधित रिकॉर्ड को गलत जगह रख दिया है. इसलिए याचिकाकर्ता को जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता. मामले में कोर्ट ने 25.10.2024 को अपीलकर्ता के खिलाफ जारी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश को डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई तक प्रभाव और संचालन पर रोक लगा दिया है.
पौंसरा की 2.15 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री 2013-14 में की गई थी. तब इसे लेकर जमकर विवाद हुआ था. विवाद सुलझने के बाद जमीन का नामांतरण कर दिया गया. नामांतरण आदेश में तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जय शंकर उरांव के हस्ताक्षर हैं. पेखन लाल शेंडे ने रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण आदेश के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने की मांग करते हुए 31 अगगस्त 2024 को तहसीलदार बिलासपुर के समक्ष आवेदन पेश किया.
लगातार स्मरण करने के बाद भी जब दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराया गया. तो पेखन लाल शेंडे ने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने तहसीलदार बिलासपुर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को पूरे प्रकरण के दस्तावेज उपलब्ध कराने कहा. कोर्ट के निर्देश के बाद भी याचिकाकर्ता को दस्तावेज नहीं मिले. इस मामले में कोर्ट ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था. जिसे लेकर अपील की गई थी, डीबी ने इस आदेश पर रोक लगाई है.