रायपुर। शिक्षा विभाग में अफसरों की तूती बोलती है। यहां पर कई बड़े-बड़े कारनामे हुए पर उक्त अफसर पर कोई ठोस कार्रवाई आज तक देखने को नहीं मिली। राजीवगांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों के द्वारा मिशन मेें एलएफडी, टीएफटी मॉनिटर की ख्रीदी में स्स्थानीय फर्म के संचालकों तथा एग्माटेल कंपनी के छत्तीसगढ़ के उरिया मैनेजर से सांठगांठ कर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अनियमितता कर शासन को करोड़ों का चूना लगाया।
चार अफसरों पर मामला दर्ज किया गया था। यह मामला 2011-12 का था। मामले में संचालनालय में पदस्थ उप संचालक आशुतोष चावरे सहित तीन अधिकारियों पर मामला एसीबी में दर्ज है। पूरे मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है । वर्तमान उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय पर वर्ष 2016 में धारा 420/467/468/471/120 B के तहत प्रकरण दर्ज है । राज्य की पुलिस इसे गिरफ्तार कर सके. ये अपराधी खुलेआम पिछले आठ सालो से बिना जमानत लिये आज भी लोक शिक्षण संचालन में पदस्थ है।
शिक्षा विभाग में उनका जलवा ऐसा है कि वे यहां की गतिविधियों में लगातार संलिप्त हैं। डीईओ श्री चंद्राकर के प्रकरण में भी इस अधिकारी का नाम सामने आया था, पर उनका कुछ नहीं हुआ। आज भी स्कूलों को मान्यता देने से लेकर कोर्स संचालन के मामले में निजी स्कूलों से सांठगांठ करने में उनके द्वारा बड़ा खेल किया जाता है। अफसरों की शह और चापनूसी के चलते वे अपना खेल खेल रहे हैं। मुख्यमंत्री को ऐसे दागी लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सवारने वाले विभाग में अफसर ही न सवरते रहें।
ऐसा भी कारनामा
पोस्टिंग संशोधन मामले में उप संचालक आशुतोष चावरे जिन्हें नियम विरुद्ध स्थानांतरण संशोधन प्रस्ताव मामले में शो कॉज नोटिस जारी किया गया था। दरअसल शिक्षिका चंद्रकुमारी नेताम का स्थानांतरण शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खजरी सारंगढ से शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पनगांव विकासखंड बलौदाबाजार में एच्छिक स्थानांतरण किया गया था। पद रिक्त नहीं होने के बाद भी चंद्रकुमारी नेताम के ट्रांसफर मामले में लापरवाही मामले में उप संचालक आशुतोष चावरे को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया था। चावरे को 15 दिन के भीतर तात्कालीन प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला को लिखित जवाब देने को कहा गया था, पर यहां भी मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।