भूपेश बघेल के दरबार में अनेक रत्न थे।अनिल टुटेजा,आलोक शुक्ला, समीर विश्नोई, रानू साहू, टामन सिंह सोनवानी, अमर पति त्रिपाठी, मनोज सोनी, प्रशासनिक रत्न थे। इनके अलावा एक और रत्ना थी सौम्या चौरसिया। महारानी थी। जितने भी रत्न थे सब महारानी के आभूषण के रत्न थे। सब के सब लूटमार गिरोह के सक्रिय सदस्य थे। इनमें से सबसे घृणित काम करने वाला सरगना था टामन सिंह सोनवानी, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का बनाया हुआ या कहे उपकृत अध्यक्ष, इसका एक मात्र उद्देश्य था पद बेचो, पैसा खींचो।
अपने पूरे कार्यकाल में सोनवानी ने ईमानदारी से एक भी प्रतिभावान परीक्षार्थी का चयन नहीं किया । हमें देश में आह की बड़ी कीमत आंकी गई है। टामन सिंह सोनवानी ने लाखों प्रतिभावान परीक्षार्थियों की आह कमा चुके थे।जिसका असर आज दिखा । सीबीआई ने इस घोटालेबाज अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया है। चौबीस घंटे के भीतर अदालत में पेश करने के बाद रिमांड में लेकर टामन सिंह सोनवानी से सीबीआई के अधिकारी पूछताछ करेंगे। सोनवानी अकेले गिरफ्तार नहीं हुए है बल्कि बीच का दलाल श्रवण कुमार गोयल को भी गिरफ्तार किया है, जनाब भगवान के नाम पर बजरंग स्टील के निदेशक है और बहु और बेटे का डिप्टी कलेक्टर पद खरीदने के लिए 45 लाख रुपए दिए थे।
ऐसे सैकड़ों श्रवण है जिन्होंने अपने रिश्तेदारों के लिए सोनवानी को लाखों रुपए देकर पोस्ट खरीदे थे।इस मामले में हल्ला भी खूब हुआ था तब घोटाले पर टिप्पणी हुई थी कि क्या नेता,अधिकारी और राजनीतिज्ञों के रिश्तेदार मेघावी नहीं होते?उन्हें चयनित होने का अधिकार नहीं है? आंख मूंद कर लोक सेवा आयोग को निजी सेवा आयोग बना कर रख दिया था। मुख्य मंत्री कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों ने।इनकी सरगना थी सौम्या चौरसिया, जिसे पैसे की इतनी भूख थी कि हर विभाग में मुंह मार रही थी,मरवा रही थी। टामन सिंह सोनवानी भी इन्हीं भूखे लोगों के पेट भरने के लिए अध्यक्ष बनाया गया था। बड़ी ईमानदारी से बेइमानी किया था टामन सिंह सोनवानी ने।
बड़े पदों की बात छोड़ दीजिए चपरासी जैसे चतुर्थ श्रेणी के नौकर की नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग ने भर्ती की। 6-6लाख वसूले गए और भर्ती की गई। चपरासी का पद बेचने वाला आयोग क्या तृतीय और द्वितीय श्रेणी का पद नहीं बेचा होगा? दरअसल शुतुरमुर्ग के समान रेत में मुंह छिपा कर घी पी रहे थे सोनवानी। इस भरोसे पर कि कांग्रेस का दोबारा आना तय है।पांच साल मे सारी बातें भुला दी जाएगी लेकिन बंटाधार हो गया।सरकार चली गई और नई सरकार ने पीएससी घोटाले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया। भागे भागे फिर रहे थे सोनवानी, धरा गए है।सुनते है बड़े नामो का खुलासा होने वाला है।सौम्या चौरसिया का नाम आना तय ही है(एक और केस, गिरफ्तारी और जमानत मिलने में बड़ी कठनाई!) यहां तक तो ठीक है लेकिन जिस बड़े नाम का लिया जा सकता है, उसको पसीना छूट रहा होगा। कोयले की दलाली में बहुतों के हाथ काले है।
एक दो सप्ताह बाद सेंट्रल जेल रायपुर में नए पंक्षी के रूप में सोनवानी का प्रवेश होना है। मुख्य मंत्री कार्यालय के रत्नों में से एक रत्न आलोक शुक्ला फरार है बाकी सब कच्ची रोटी, पनियल दाल सब्जी, चाशनी चाय पी रहे है, रोज प्रार्थना कर रहे हैं हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे। सोनवानी जी, याद करिए उन परीक्षार्थियों को जिनकी ईमानदार मेहनत पर अपने बेइमानी की परत चढ़ा कर बेईमान अधिकारियों, नेताओ और व्यापारियों के असक्षम बच्चों को लूटमार करने के लिए चयनित किया था। सीबीआई के अधिकारियों को चाहिए कि अयोग्य बच्चों सहित उनके बेईमान मां बाप को भी जेल की सैर कराए ताकि आने वाली पीढ़ी जान सके कि बुरे का अंत बुरा ही होता है।