भोपाल. गोवा की फेनी और केरल की टोडी जैसे ही मध्यप्रदेश में भी परंपरागत महुआ शराब बिकनी शुरू हो गई है. आप भी इसे बनाकर करोड़ों कमा सकते हैं. इस काम में मध्यप्रदेश आबकारी विभाग मदद करेगा. इस शराब के लिए एजेंसी हायर की जा रही है. जो कि पूरे प्रदेश में महुआ शराब को बनाने, मार्केटिंग करने व बिक्री के लिए आउटलेट्स खोलेगी. एजेंसी निर्यात भी करवाएगी.
मध्यप्रदेश सरकार ने एक साल पहले आदिवासियों को सशक्त बनाने और आगे बढ़ाने के लिए राज्य की ऐतिहासिक महुआ शराब के लिए नई आबकारी नीति बनाई थी. इसे हैरिटेज लिकर नीति कहा गया है. इसमें वैट और लाइसेंस फीस में छूट का प्रावधान रखा गया है. अलीराजपुर में मोंड और डिडोंरी में मोहुलो ब्रांड से शराब बननी शुरू हो चुकी है. अब मध्यप्रदेश सरकार महिला स्व सहायता समूह के जरिए हैरिटेज शराब के निर्माण को प्रोत्साहित करने जा रही है. इसके तहत एक एजेंसी को रखने का टेंडर हो चुका है. आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव ने बताया कि जनवरी 2024 से यह काम शुरू हो जाएगा. इससे प्रदेश के आदिवासी इलाकों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और आय में इजाफा होगा.
शराब के फायदे बताकर नए ग्राहक तैयार करेगी एजेंसी
विभाग के अफसरों ने बताया कि मार्केटिंग एजेंसी हेरिटेज शराब के लिए जागरूकता बढ़ाने का काम करेगी. यानी लोगों के बीच शराब का उपभोग बढ़ाने के लिए प्रचार प्रसार करेगी. इसके लिए महुआ की शराब के फायदे बताकर नए ग्राहक बनाए जाएंगे. इसके अलावा, महिला स्व सहायता समूहों को शराब का उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल की खरीद, मशीनरी, क्वालिटी कंट्रोल, इन्वेंटरी और स्टोरेज मैनेजमेंट में मदद करते हुए विभिन्न योजनाओं के जरिए लोन दिलवाया जाएगा. एजेंसी दूसरे राज्यों में भी रिटेल आउटलेट काउंटर खुलवाएगी. यह आउटलेट से आर्डर लेकर सप्लाई चैन खड़ी करेगी. नीतिगत मामलों में आबकारी विभाग और मध्य प्रदेश महिला वित्त एवं विकास निगम के साथ सामंजस स्थापित करेगी. एजेंसी को भी मुनाफे में 10 प्रतिशत का हिस्सा मिलेगा.
मौजूदा दुकानों से हटकर खोले जाएंगे नए आउटलेट
वर्तमान दुकानों से हटकर अलग से आउटलेट खोले जाएंगे. शराब की कीमत विभाग ही तय करेगा. इसमें मध्य प्रदेश महिला वित्त एवं विकास निगम और उत्पादन शुल्क से भी मदद ली जाएगी. वहीं, एक अगस्त से हैरिटेज शराब प्रदेश में बिकनी शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश ताज और मैरिएट जैसे होटलों में लोगों को महुआ का स्वाद चखाया जा रहा है.
ब्रिटिश काल में बैन कर दी गई थी महुआ
महुआ के पेड़ से झरने वाले फूलों से यह शराब बनाई जाती है. सदियों तक यह ड्रिंक और महुआ के फूल आदिवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रही, जिसे ब्रिटिश काल में बैन कर दिया गया था. झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ समेत 12 राज्यों की आदिवासी जातियों का महुआ के साथ कनेक्शन रहा है.