पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में जितना विवादास्पद खनिज और आबकारी विभाग था उससे ज्यादा विवादास्पद विभाग खाद्य विभाग भी रहा है। इस विभाग के विशेष सचिव मनोज सोनी के यहां दो केंद्रीय एजेंसी आयकर और ईडी जांच कर चुकी है। दोनो विभाग को जो दस्तावेज मिले है उसमे पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को चांवल के बदले मिलने वाली मोटी राशि का जिक्र है। बताया जाता है कि मनोज सोनी को नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड का मैनेजिग डायरेक्टर इसी शर्त पर बनाया गया था कि मनोज सोनी नान से राशन चांवल के घोटाले के लिए 12, रूपये क्विंटल सहित मार्कफेड में राइस मिलर्स से उनके कस्टम मिलिंग के लिए दिए जाने वाले कुटाई राशि 120 रुपए प्रति क्विंटल के एवज में 20 रूपये क्विंटल राशि वसूल कर एक आईएएस अफसर के माध्यम से ऊपर पहुंचाएंगे, एक पार्टी के कोषाध्यक्ष को देंगे और चिल्लहर राशि नान, मार्कफेड और खाद्य विभाग के संचालनालय के अधिकारियों को बाटेंगे।
इस काम को अंजाम देने के लिए नान और मार्कफेड के जिला प्रबंधकों और खाद्य विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी बांटी गई। खाद्य विभाग के संचालनालय स्तर का एक बड़ा अधिकारी राशन दुकानों में राशन के चांवल होने के बाद भी सालो कोटा जारी करता रहा और करोड़ो रुपए अमरजीत भगत के पास उनके ओएसडी के माध्यम से पहुंचते रहा। ईडी में 12,जिले के खाद्य अधिकारियो के नाम और दी गई राशि की जानकारी है।
जिस पर बड़े पैमाने पर कार्यवाही होना शेष है। मनोज सोनी के पास से 175करोड़ रुपए के भुगतान में पूर्व खाद्यमंत्री अमरजीत भगत का भी नाम अनिल टुटेजा, और राम गोपाल अग्रवाल के साथ है। ईडी के सूत्रों के अनुसार राशन बचत घोटाले की भी शिकायत दर्ज है जिस पर कार्यवाही शीघ्र होने वाली है। पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के ऊपर बायो डीजल मामले में भी अपने कार्यालय के दलालो के माध्यम से अवैध राशि वसूलने की शिकायत हुई थी। इसके अलावा विभाग में ट्रांसफर उद्योग चलाने के मामले में भी शिकायत थी।