सेंट्रल जेल रायपुर में पुरुष तथा महिला बंदियों को रख्रने वर्तमान में 20 के करीब बैरक हैं तथा पांच सेल हैं, जिनमें 1373 पुरुष तथा 67 तथा विचाराधीन पुरुष, 1568 तथा 73 महिला कुल तीन हजार 76 बंदी रह रहे हैं, जबकि जेल में बंदियों को रखने की क्षमता 1586 है। इस लिहाज से जेल में क्षमता से दोगुना बंदी रह रहे हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के आधार पर रायपुर सेंट्रल जेल तथा गरियाबंद में नए बैरक का निर्माण किया जाएगा।
जेल में बंदियों की वर्तमान क्षमता, भविष्य की जरूरत को देखते हुए जिले में नई जेल निर्माण करने भूमि अधिग्रहण, लंबित परियोजना सहित अन्य जरूरतों की समीक्षा करने जिला एवं सत्र न्यायाधीश अब्दुल जाहिद कुरैशी ने बैठक की। बैठक में जेल, विधिक प्राधिकरण के अफसरों के साथ जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग के अफसर शामिल हुए। बैठक में डीजे ने वर्तमान में संचालित जेलों में आगामी 10 वर्षों की जरूरत को देखते हुए सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
रायपुर सेंट्रल जेल में नए बैरक का निर्माण
रायपुर सेंट्रल जेल में बंदियों की संख्या को देखते हुए पांच नए बैरकों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही गरियाबंद जिला जेल में एक बैरक का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही गरियाबंद में नए जेल निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर चर्चा की। साथ ही गोढ़ी में 80 एकड़ में बनने वाली केंद्रीय जेल के लिए भूमि अधिग्रहण होने की जानकारी दी।
प्रदेश की जेलों में वर्तमान में इतने बंदी
प्रदेश के 33 जिले के केंद्रीय, जिला तथा उप जिला जेल में वर्तमान में साढ़े 18 हजार बंदी रह रहे हैं। उनमें सजायाफ्ता के साथ विचाराधीन बंदी शामिल हैं। सबसे ज्यादा बंदी रायपुर सेंट्रल जेल में हैं, दूसरे नंबर पर बिलासपुर सेंट्रल जेल जहां 29 सौ, तीसरे नंबर पर शेष अन्य तीन दुर्ग, जगदलपुर तथा अंबिकापुर में दो हजार से 21 सौ के करीब बंदी रह रहे हैं।
सुरक्षा जांच में होती है परेशानी
बैरक में क्षमता से अधिक बंदी होने पर सुरक्षा जांच में जेल वार्डन तथा वहां सुरक्षा में तैनात जेल प्रहरियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि केंद्रीय जेलों में आए दिन मोबाइल मिलने के साथ जेल में ले जाने प्रतिबंधित वस्तुएं मिलती रहती है। इसके कारण जेल की सुरक्षा को लेकर खतरा उत्पन्न होता है।
बंदियों में मारपीट की घटना आम
50 की संख्या में रखने बैरक में सौ तथा उससे ज्यादा बंदियों को रखे जाने की स्थिति में बंदियों में आए दिन मारपीट की घटनाएं घटित होती रहती हैं। मारपीट की घटनाएं रात में सोने के लिए जगह हथियाने के नाम पर होती हैं। छिटपुट मारपीट की घटनाएं सामने नहीं आतीं। मारपीट की घटना में बंदी के गंभीर रूप से घायल होने पर मारपीट होने की जानकारी जेल से बाहर निकल पाती है।