नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में सुनवाई करते हुए एसबीआई के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने में आनाकानी क्यों कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई भी जनकारी एसबीआई छिपा नहीं सकती। इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने एसबीआई से सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था और इसमें चुनावी बॉन्ड नंबर भी शामिल थे. एसबीआई चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी दे. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि जो भी जानकारी है सबका खुलासा किया जाए. सीबीआई हमारे आदेश का पालन करें.
सुप्रीम कोर्ट में पिछली बार जब इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुनवाई हुई थी, तो अदालत ने बॉन्ड के यूनिक नंबर का खुलासा नहीं करने को लेकर एसबीआई से सवाल किया था. एसबीआई को यूनिक नंबर का खुलासा करना चाहिए, क्योंकि वह ऐसा करने के लिए बाध्य है. यूनिक नंबर के जरिए पता चल सकता है किस राजनीतिक दल को चंदा दिया और चंदा देने वाला शख्स/कंपनी कौन है.
योजना की शुरुआत के बाद एसबीआई ने 2018 में 30 किस्तों में 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड जारी किए . एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई पर सख्ती जताते हुए कहा कि 21 मार्च को एसबीआई एक हलफनामा भी दायर करना होगा जिसमें बताना पड़ेगा कि उसने पास में उपलब्ध कोई जानकारी छिपाई नहीं है. चुनावी बॉन्ड के नंबर चुनाव आयोग को दे दिए जाएं जिससे उन्हें वेबसाइट पर अपलोड किया जा सके. कोर्ट ने कहा, एसबीआई को हर जानकारी शीर्ष न्यायालय को देनी है.
SBI ने हलफनामे में क्या कहा था
एसबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें बताया गया कि 1 अप्रैल 2019 से इस साल 15 फरवरी के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिनमें से 22,030 को राजनीतिक दलों ने भुनाया. हलफनामे में बताया गया कि प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीदार के नाम और खरीदे गए बॉन्ड के मूल्य विवरण सहित प्रस्तुत किए गए हैं.