आज के युग में लोगों को बात-बात पर गुस्सा आ जाता है, बनते-बनाते कार्य में बाधा होती है। अनावश्यक गुस्सा और तानाशाही की शांति के लिए मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती चंद्रमा से जुड़ा एक रत्न है, जो व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में शांति और एकाग्रता का संचार करता है। इसके अलावा मोती धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है।
मोती के ज्योतिष फायदे
आज के युग में लोगों को बात-बात पर गुस्सा आ जाता है, जिससे बनते-बनाते कार्य में बाधा के साथ रिश्तों में मन-मुटाव बड़ जाती है। अनावश्यक गुस्सा एवं तानव की शांति के लिए मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती चंद्रमा का रत्न है, चंद्रमा बलवान होने से व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में शांति एवं एकाग्रता का संचार होता है, जिससे उसके व्यक्तित्व में निखार आता है। आइए जानते हैं, मोती पहनने के फायदों के बारे में . . .
मानसिक शांति के लिए मोती
ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। मानसिक शांति, मन के विकार एवं मानसिक दुर्बलता को दूर करने के लिए चन्द्रमा का रत्न मोती बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। समुद्र में पाई जाने वाली सीप के अंदर से मोती निकलती है। मोती के धारण करने से चंद्रमा संबंधी दोषों का निवारण होता है। पुराने जमाने में राजा-महराजा मोती की माला अवश्य धारण करते थे जिससे उनके तेज में वृद्धि होती थी। विशेष मुहूर्त, जैसे सोमवार के दिन पूर्णिमा पड़ने पर या चन्द्रमा का नक्षत्र आने पर या चंद्रमा जब उच्च राशि में हो, तब चांदी की अंगूठी में मोती जड़वाकर धारण करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आने लगती है।
कुंडली में अगर चंद्रमा की दशा चल रही हो या चंद्रमा भाग्य स्थान का स्वामी या लग्न का स्वामी या योग कारक हो तो कार्यों में सफलता, भाग्योदय, स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभ मुहूर्त में मोती अथवा मोती चंद्रमा धारण किया जाता है। जन्म पत्रिका में केमद्रुम नाम का एक बहुत ही अशुभ योग पाया जाता है। केमद्रुम योग होने पर जीवन के सभी शुभ योग एवं शुभ राजयोगों का फल मंद पड़ जाता है। केमद्रुम योग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए चांदी की अंगूठी में मोती जड़वार धारण करनाा वरदान साबित होता है। किसी भी प्रकार की मानसिक चिंता या उदासी से मुक्ति के लिए 9 या 11 रत्ती का मोती, चांदी की अंगूठी जड़वाकर धारण करने से शीघ्र मानसिक शांति मिलती है। चंद्र दोष निवारण के साथ ही मोती मानसिक शांति के लिए हर राशि में लाभदायक होता है।
मोती धारण करने के अन्य लाभः-
मोती धारण करने से चित्त शांत रहता है, मानसिक शांति मिलती है।
मोती व्यक्ति के क्रोध पर काबू रखता है, अतः जिन व्यक्तियों को बहुत गुस्सा आता हो, उन्हें क्रोध पर नियंत्रण के लिए मोती अवश्य धारण करना चाहिए।
एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए मोती धारण करना श्रेयस्कर माना गया है।
व्यापारियों को व्यापार में लाभ के लिए जन्मकुंडली अनुसार मोती धारण करना चाहिए।
पढ़ाई में कमजोर बच्चों का पढ़ाई में मन लगाने एवं अच्छे नम्बरों के लिए भी मोती पहनना फायदेमंद रहता है।
मोती धारण करने से चेहरे की चमक में वृद्धि होती है, चंद्रमा की कोमलता का नूर चेहरे पर चमकने लगता है।
दमा, खांसी में फायदेमंद है मोती
पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखे, उसमें मोती या मोती की अंगूठी रखें तथा उस पर एक हल्का कपड़ा ढक दे तो चंद्रमा का शीतल तत्व जो चंद्रमा की रोशनी में पाया जाता है, खीर में उतर आता है। कुछ विद्वानों के शोध एवं प्रयोग अनुसार यह बात केवल शरद पूर्णिमा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर पूर्णमासी पर यह प्रयोग किया जा सकता है। इससे अनेक प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती है। खीर को प्रसाद रूप में खाने से खांसी, दमा एवं वायु विकार आदि बीमारियों में फायदेमंद होता है।
कब मोती धारण नहीं करना चाहिए?
रत्न विक्रेता आमतौर पर सभी राशि के लोगों को धारण मोती धारण करने की सलाह देते हैं, लेकिन जिनकी कुंडली में चंद्रमा अकारक अथवा मारक की श्रेणी में रहता है, उन्हें मोती नहीं धारण करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र की गणना एवं स्वयं की जन्मपत्री के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए तथा रत्न धारण करते समय इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि रत्नों में किसी प्रकार का दोष न हो, क्योंकि शुद्ध रत्न ही विशेष लाभ देता है।