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लुटिया डुबाने वालो को मिली रायबरेली और अमेठी की जिम्मेदारी

उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 80में से 17 सीट पर संतुष्ट होने वाली देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस के लिए 15 सीट तो पहले से हारी हुई मान ली गई है ।केवल दो सीट ही उनकी नाक है – रायबरेली और अमेठी।इन दो सीट में से रायबरेली में कांग्रेस के गांधी परिवार के राहुल गांधी प्रत्याशी है। दूसरे में प्रियंका गांधी को स्मृति ईरानी के सामने खड़ा होना था लेकिन नही लड़ी क्योंकि भाजपा परिवारवाद का आरोप पुख्ता कर देती। अमेठी से किशन लाल शर्मा कांग्रेस के प्रत्याशी है।

कांग्रेस की तरफ से रायबरेली के लिए पर्यवेक्षक के रूप में छत्तीसगढ़ के भूत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अमेठी के लिए राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चयनित किया है। दोनो मुख्य मंत्री छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी पार्टी की लुटिया डूबा चुके है। भूपेश बघेल, टी एस बाबा और अशोक गहलोत, सचिन पायलट से ही लड़ते रहे। दोनो जगह(मध्य प्रदेश में भी) ढाई ढाई साल का फार्मूला बंद कमरे में तय हुआ था लेकिन भूपेश बघेल और अशोक गहलोत ताकतवर हो चुके थे आलाकमान, लाला कमान में बदल गया था।

विधान सभा चुनाव में भूपेश बघेल और अशोक गहलोत दोनो ही किला नही बचा पाए और दोनो राज्यो में भाजपा ने सत्ता छीन लिया। दोनो राज्यो के मतदाताओं को अहसास हो गया था कि भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को दुबारा जिताने का मतलब है घोटाला में बढ़ावा और एक समुदाय विशेष को संरक्षण और युवा लोगो के साथ पेपर लीक करने और पद बेचने का काम होना। परिणाम आया, धराशाई हो गए।

लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव में भूपेश बघेल को तो प्रत्याशी भी बना दिया गया, अशोक गहलोत को ये नसीब नहीं हुआ। दोनो को कांग्रेस पार्टी ने “महती जिम्मेदारी” सौपी है। भूपेश बघेल को इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को प्रधान मंत्री बनाने वाली और पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से इकलौतीसीट जीताने वाली सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से राहुल गांधी की जिताने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है। 2022विधान सभा चुनाव में भी भूपेश बघेल प्रभारी थे। अपने सलाहकार राजेश तिवारी को साल भर उत्तर प्रदेश में संगठन को मजबूत कराने के लिए भिड़ाया। 404विधानसभा सीट में से 387में कांग्रेस के प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई। इसमें रायबरेली की तीन विधान सभा क्षेत्र शामिल है।

रायबरेली से भाजपा की अदिति सिंह जीत गई। रायबरेली में सपा और भाजपा को विधान सभा चुनाव में साढ़े छः लाख वोट मिले है। कांग्रेस एक लाख चालीस हजार वोट पाई है। अगर समाजवादी पार्टी विधान सभा चुनाव में मिले तीन लाख वोट को कांग्रेस के पक्ष में डलवा देती है तो राहुल गांधी अस्सी हजार वोट से जीतने की क्षमता रखते है। भूपेश बघेल को समाजवादी पार्टी से ये काम करवाने का पर्यवेक्षण करना होगा अन्यथा अमेठी लोकसभा से पिछली बार भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव हार चुके है। अगर राय बरेली की राय कुछ और रही तो गांधी परिवार के दूसरे सदस्य होंगे जो रायबरेली से हारेंगे।

ज्ञात रहे1977 में इंदिरा गांधी, जनता पार्टी के राज नारायण से चुनाव हार गई थी। राहुल गांधी अगर, राय बरेली से हारते है तो वे गांधी परिवार के पहले सदस्य होंगे जो उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा से एक के बाद एक हारने वाले होंगे। भूपेश बघेल को जीती हुई सीट पर जिताने की “महती जिम्मेदारी “मिली है. अशोक गहलोत, को भूपेश बघेल की तुलना में छोटी जिम्मेदारी मिली है।अमेठी मिला है।।हारी हुई सीट है। अमेठी लोकसभा में पांच विधान सभा क्षेत्र आते है। तीन में भाजपा और दो में सपा के विधायक है। जीतना मुश्किल दिख रहा है किशन लाल का।जीत गए तो बड़ी बात होगी हार गए तो बहानों की भरमार है। राहुल जी के नहीं लड़ने से मतदाता नाराज थे। स्मृति ईरानी को प्रचार करने का बहुत समय मिल गया। हम जनादेश को स्वीकार करते है। अशोक गहलोत तो राजनीति के जादूगर है, कुछ न कुछ तो बोल ही देंगे।

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