कांवड़ मार्गों की खाने-पीने की दुकान पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य कर दिए जाने से दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है। इस आदेश को लेकर शनिवार को भी विपक्ष के नेताओं की ओर से टिप्पणियां सामने आती रहीं। वहीं एक तरफ नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ी और दूसरी तरफ दुकानों के बाहर नाम प्रदर्शित करने का सिलसिला जारी रहा।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यूपी के कांवड़ मार्गों पर खौफ, यह भारतीय मुसलमानों के प्रति नफरत की वास्तविकता है। इस नफरत का श्रेय राजनीतिक दलों/हिंदूवादी नेताओं और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को जाता है। वहीं कपिल सिब्बल ने भी एक्स अकाउंट पर लिखा, ‘यूपी में सड़क किनारे ठेलों और भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। क्या यह ‘विकसित भारत’ का रास्ता है। विभाजनकारी एजेंडे से देश बंटेगा’।
दो समुदायों के बीच खाई पैदा कर रही सरकार: एसटी हसन
सपा के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि भाजपा उत्तर प्रदेश का माहौल खराब करना चाहती है, ताकि विधानसभा उपचुनाव में उसे लाभ मिल सके। हमारे देश के हिंदू-मुस्लिम वर्षों से साथ खाते-पीते आ रहे हैं। सरकार उनके बीच नफरत फैलाना चाहती है। लेकिन सरकार अपने मकसद में कामयाब नहीं होगी। हिंदू की दुकान पर मुस्लिम काम करते हैं और मुस्लिम की दुकान पर हिंदू काम करते हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। दो समुदायों के बीच खाई पैदा की जा रही है।