दो दिन नहीं हुए है जब मैने लिखा था कि सत्ता पलट का नुकसान पूर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनैतिक रूप से हुआ जो हुआ, इसकी भरपाई हो सकती है। वे अधिकारी जो पूर्व शासक के सत्ता के मद में अपनी सीमा मर्यादा तोड़कर नत मस्तक हुए थे उनके बड़े नुकसान के दिन शुरू हो गए है। कुछ आई ए एस कुछ आइ पी एस अधिकारियो सहित राज्य सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों ने अनुशासन और मर्यादा की सीमा तोड़ दी। ये सब शासन के बजाय मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करने वाले सिंडिकेट के दलाल हो गए थे।
इन अधिकारियो के नाम का भी खुलासा होगा लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जो दो आई ए एस अधिकारी सहित एक टेलीकॉम सेवा के अधिकारियों सहित दो पूर्व आई ए एस अधिकारियो सहित वे अधिकारी जो पुलिस, मार्कफेड,फूड फॉरेस्ट, महिला बाल विकास विभाग, खनिज , आबकारी, ट्रांसपोर्टेशन विभाग में दलाली कर पूर्व सत्ताधारी पार्टी के सत्तासीनो के जेब में डाल चुके है, उनका हाल क्या होगा।
आज इनमे से राज्य सेवा की एक महिला अधिकारी की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। पुराने शासन काल में खुद को सुपर सीएम समझने वाली इस महिला के रंग देखने लायक थे। ये वही महिला अधिकारी है जो प्रधानमंत्री के वीडियो कांफ्रेंस में बॉटल से पानी पीकर केबिनेट की बैठक में मंत्री और आई ए एस , आई पी एस अधिकारियो को पानी पिलाती थी। प्रदेश के जिलों के कलेक्टर एस पी इसके फोन पर जी जी कर गिड़गिड़ाते थे। नियम कानून की धज्जी उड़ाने की यूनिवर्सिटी की ये टॉपर थी जिसने कोयला घोटाले में इतनी गड़बड़ी की है कि देश की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी मान रहा है कि छत्तीसगढ़ में सुनियोजित ढंग से मनी लांड्रिंग हुई है।
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आज सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (क्रिमिनल) 8847/2023में सुनवाई करते हुए सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका खारिज कर दिया साथ ही झूठी जानकारी देने के नाम पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया है। ये निर्णय जेल में बंद सौम्या चौरसिया के लिए जितना हृदय विदारक होगा उतना ही उस सिंडिकेट के लिए भी होना चाहिए जो कोयला घोटाले में हिस्सेदार है क्योंकि देर सबेर इन्हे भी जेल जाना है। पूर्ववर्ती सरकार के अनेक अधिकारियो को गुमान था कि सत्ता परिवर्तन तो होना नहीं है। जेल चले भी गए तो वीवीआईपी रहेंगे। सुख सुविधा के साथ वक्त काट लेंगे।
बुरे दिन आने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी के नव नियुक्त मुख्य मंत्री विष्णु देव साय सहित उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा से उम्मीद है कि पूर्ववर्ती सत्ता के दलाल अधिकारियो को चिन्हांकित करे शासन के पक्ष में कार्य करने के बजाय एक पार्टी हित में काम करने का नतीजा भी सुनाए। दलाल अधिकारियो को उम्मीद है कि पैसा सब कुछ ठीक कर सकता है।इस भ्रम को सौम्या चौरसिया के जमानत याचिका की खारिजी ने पुख्ता किया है।