सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात सरकार से गिर सोमनाथ में दरगाह और अन्य स्थानों को गुजरात प्राधिकारियों की ओर से कथित रूप से ध्वस्त किए जाने के संबंध में सरकारी प्रतिष्ठान के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर हमें लगेगा कि अधिकारी अवमानना कर रहे हैं, तो हम उन्हें ढांचे को बहाल करने का निर्देश देंगे। कोर्ट ने गुजरात में ध्वस्तीकरण के खिलाफ दिए उसके आदेश की अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा और मामले में आगे की सुनवाई को 16 अक्तूबर के लिए स्थगित किया।
दरअसल, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ शीर्ष अदालत के 17 सितंबर के आदेश के कथित उल्लंघन के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया कि देश भर में बिना अनुमति के अपराधों के आरोपियों सहित संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा। याचिकाकर्ता सुम्मास्त पाटनी मुस्लिम जमात की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद गुजरात में अधिकारियों ने संरचनाओं को गिरा दिया है। गुजरात के अधिकारियों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संरचनाएं समुद्र से सटी हुई थीं और सोमनाथ मंदिर से लगभग 340 मीटर दूर थीं। यह आपके द्वारा बनाए गए अपवाद के अंतर्गत आता है।
पिछले महीने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम आगे स्पष्ट करते हैं कि हमारा आदेश तब लागू नहीं होगा, जब सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना हो और साथ ही ऐसे मामलों में भी जहां अदालत द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया हो। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के 6वें सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली मेयर और आप नेता शेली ओबेरॉय की याचिका पर भी सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय से एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराने को कहा। कोर्ट ने कहा कि अगर आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव आयोजित कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे। उच्चतम न्यायालय ने एमसीडी स्थायी समिति के सदस्य के लिए चुनाव आयोजित कराने में दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के ‘अत्यंत जल्दबाजी’ करने पर सवाल उठाए।