राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मणिपुर में हुई हिंसा से जुड़े तीन मामलों को अपने हाथ में ले लिया है। इन घटनाओं के कारण कई लोगों की जान गई और सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हुआ। गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आदेश के बाद एजेंसी ने मणिपुर पुलिस से ये मामले अपने हाथ में ले लिए हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने राज्य पुलिस से इन तीन हिंसक मामलों की जांच संभाली…
- पहला मामला 8 नवंबर, 2024 को जिरीबाम पुलिस स्टेशन में सशस्त्र उग्रवादियों की ओर से जिरीबाम क्षेत्र में एक महिला की हत्या के संबंध में दर्ज किया गया था।
- दूसरा मामला 11 नवंबर, 2024 को बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जो सशस्त्र उग्रवादियों द्वारा जिरीबाम के जकुराधोर करोंग और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की चौकी (ए-कंपनी, 20वीं बटालियन) पर हमले से जुड़ा था।
- तीसरा मामला 11 नवंबर, 2024 को बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में बोरोबेकरा क्षेत्र में घरों को जलाने और नागरिकों की हत्या के संबंध में दर्ज किया गया था।
अमित शाह मणिपुर की स्थिति पर बैठक करेंगे
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस दौरान वह पूर्वोत्तर राज्य में अस्थिर स्थिति से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका सहित अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हो सकते हैं। इससे पहले महाराष्ट्र में अपनी चुनावी रैलियां रद्द करने के बाद शाह ने रविवार को भी मणिपुर की सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया था।
हिंसक विरोध प्रदर्शन की ताजा घटनाएं शनिवार रात को हुईं
दरअसल, मणिपुर हिंसक विरोध प्रदर्शन की ताजा घटनाएं शनिवार रात को हुईं। जिरीबाम जिले में उग्रवादियों की ओर से तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दिए जाने से लोगों में गुस्सा है। आक्रोशित लोगों ने 16 नवंबर को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमला बोल दिया था। उसके बाद से यहां अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया।
विधायकों के घरों को बनाया निशाना
अधिकारियों ने बताया था कि भीड़ ने इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में एक वरिष्ठ मंत्री समेत तीन और भाजपा विधायकों तथा एक कांग्रेस विधायक के आवास में आग लगा दी, जबकि सुरक्षा बलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर पर प्रदर्शनकारियों की हमले की कोशिश को विफल कर दिया।
राजनीतिक उथल-पुथल भी तेज
इस बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को मणिपुर की भाजपा नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया। पार्टी ने दावा किया कि एन बीरेन सिंह शासन इस पूर्वोत्तर राज्य में संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं। हालांकि, समर्थन वापसी से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के पास अपने 32 विधायकों के साथ सदन में पूर्ण बहुमत है। भाजपा को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के छह विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है।
जेपी नड्डा को लिखे पत्र में एनपीपी ने कही यह बात
एनपीपी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे पत्र में दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में स्थिति और बिगड़ गई है, कई निर्दोष लोगों की जान गई है तथा राज्य के लोग अत्यधिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। हम महसूस करते हैं कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है। वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर में बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है।
पिछले साल से हालात सामान्य नहीं
पिछले साल मई से इंफाल के मेइती और समीपवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।