रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग में एक अफसर के खिलाफ हुई शिकायत पर मंत्री ने एक साल पहले जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा था। मामले में अब तक जांच ही शुरू नहीं हो पाई है। संचालक इस दौरान बदल गए, लेकिन पूरी प्रक्रिया जस की तस है। उमाकांत तिवारी ने महिला बाल विकास विभाग के राज्य संसाधन केंद्र के संचालक सुरेन्द्र कुमार चौबे के विरूद्ध अपने पद व अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए शासकीय वाहन से दुर्ग स्थित अपने घर से रायपुर कार्यालय आना-जाना प्रतिदिन किया जाता है।
उनका मुख्यालय रायपुर होते हुए भी रायपुर में निवास न किया जाकर दुर्ग जिले में किया करके साथ आवास भाडा भी लिये जाने व श्री चौबे को उपसंचालक तथ्यों को छुपाकर पदोन्नत किये जाने से संबंधित फाईल मंत्रालय से गायब करवाने संबंधी शिकायत की गई थी। शिकायत मिलने के बाद एक समिति का जांच का जिम्मा दिया गया। संयुक्त संचालक स्तर के अफसर डीएस मरावी ने समिति में शामिल किए जाने पर जांच से मना कर दिया था। महिला बाल विकास की संचालक उस समय दिव्या मिश्रा थी।
उसके बाद तुलिका प्रजापति संचालक बनी और उन्होंने फाइल चलाकर फिर से डीएस मरावी को जांच अधिकारी बना दिया। अब तक मामले में जांच शुरू नहीं हो पाई है। अब यहां पर संचालक के रूप में जन्मेजय महोबे पदस्थ किए गए हैं। मामले की जांच की फाइल ही गायब होने की जानकारी आ रही है।
32 बंगले के दिवाने रहे अफसर
राज्य बनने के पहले यहां के आईएएस अफसर भिलाई के 32 बंगले के बड़े दिवाने थे। रायपुर के पुराने मंत्रालय में रहते हुए कई अधिकारी यही से ही आना जाना करते थे। बीएसपी के क्वार्टर और साफ सुथरी जगह देखकर सब यही से आना जाना करते थे। हालांकि उसी समय यह आदेश जारी हुआ कि मुख्यालय के लिए ही शासकीय वाहन की सुविधा हो। ऐसे में अब जब यह मामला सामने आया जांच के नाम पर लीपापोती ही हो रही है।
यह था मंत्री का निर्देश
शिकायत पत्र के संबंध में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के निर्देश थे कि शिकायत काफी गंभीर है, तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है। उक्त प्रकरण पर नियमानुसार जांच की कार्रवाई कर एक सप्ताह के भीतर अवगत करावे।