गोमर्डा अभयारण्य में ओडिशा के रास्ते भटककर पहुंचे उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व का बाघ एक पखवाड़े से गोमर्डा तथा ओडिशा के जंगल में मूवमेंट कर रहा है। वन अफसरों के मुताबिक गोमर्डा तथा ओडिशा के जंगल सटे होने की वजह से बाघ इधर से उधर हो रहा है। अफसरों के अनुसार गोमर्डा में पर्याप्त संख्या में हर्बिबोर प्रजाति के वन्यजीवों की मौजूदगी से बाघ को अपने लिए शिकार की तलाश करने में कोई विशेष परेशानी नहीं हो रहा। इस वजह से बाघ को गोमर्डा अभयारण्य पसंद आ गया है। जानकारों के मुताबिक ओडिशा तथा गोमर्डा अभयारण्य में बाघिन की मौजूदगी से क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ सकता है।
गौरतलब है कि एक पखवाड़ा पूर्व बाघ को ओडिशा के सांभरदरहा (बारहपहाड़) जंगल से होते हुए गोमर्डा के झिंकीपाली में मवेशी का शिकार कर उसे खाते हुए ट्रैप कैमरा से ट्रैप किया गया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ के वन अफसरों ने इसकी जानकारी ओडिशा के वन अफसरों के साथ साझा करते हुए बाघ की मॉनिटरिंग शुरू की। बाघ की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। इस दौरान देखा गया की बाघ जंगल के रास्ते ओडिशा तथा गोमर्डा अभयारण्य के बीच में विचरण कर रहा है। अफसरों के अनुसार बाघ गोमर्डा के अलग-अलग क्षेत्रों में विचरण करते देखा गया है।
टायगर के भटकने का यह कारण हो सकता है
वन्यजीवों के जानकार तथा वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्ढा के मुताबिक उदंती, ओडिशा के रास्ते होते हुए गोमर्डा पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें प्रमुख कारण भोजन के लिए शिकार की तलाश। इसके अलावा व्यस्क होने की वजह से मेटिंग के लिए बाघिन की तलाश तथा बाघ जिस क्षेत्र में रह रहा था, उस क्षेत्र में उससे ज्यादा बलशाली बाघ होने पर नर बाघ अपने लिए नए टेरिटरी बनाने के लिए नए क्षेत्र में निकलता है।
बाघिन की मौजूदगी से बन सकता है नया टेरिटरी
गोमर्डा अभयारण्य घना होने के साथ ही यहां पर्याप्त संख्या में हर्बिबोर प्रजाति के वन्यजीव है। इस क्षेत्र के जंगल में शेड्यूल-1 के वन्यजीवों को शिकार की कभी कमी नहीं होती। इसके चलते विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके वाइल्ड डॉग के अलावा तेंदुआ तथा अन्य कई प्रजाति के मांसाहारी वन्यजीव गोमर्डा अभयराण्य में बहुतायत में है। जानकारों के मुताबिक क्षेत्र के जंगल में बाघिन की उपस्थिति से गोमर्डा तथा ओडिशा के जंगल में बाघ का एक नया टेरिटरी बन सकता है।
पौने तीन सौ किलोमीटर के दायरे में फैला है
गोमर्डा अभयारण्य 278 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। गोमर्डा से बलौदाबाजार, महासमुंद के बीच स्थित बारनवापारा तथा ओडिशा से सटा हुआ है। बारनवापारा तथा गोमर्डा अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल सवा पांच सौ किलोमीटर हो जाएगा। इस लिहाज से यहां बाघ की बसाहट के लिए अनुकूल परिस्थिति हैं। गोमर्डा के साथ बारनवापारा के जंगल में भी पर्याप्त संख्या में हर्बिबोर प्रजाति के वन्यजीव हैं। वन अफसरों को कोशिश करना चाहिए की बाघ को गोमर्डा अभयारण्य में अनुकूल परिस्थिति मिलती रहे इसके साथ ही बारनवापारा में पूर्ववर्ती सरकार ने जो बाघ बसाने का निर्णय लिया था, उसे तत्काल अमल में लाने की जरूरत है।