अन्य वर्षों की अपेक्षा इस बार भीषण गर्मी पड़ने की आशंका है, गर्मी ज्यादा होने की वजह से जंगल में प्राकृतिक जल स्त्रोत इस बार समय से पूर्व सूख जाएंगे। ऐसे में वन्यजीवों के पीने के लिए पानी की व्यवस्था करने वन अफसरों को पहले से तैयारी करनी होगी। सासर में पानी भरने के साथ नियमित माॅनिटरिंग करने की जरूरत है। पानी की तलाश में रहवासी क्षेत्र में घुसे वन्यजीवों की रक्षा करना एक वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।
गौरतलब है हर वर्ष गर्मी के सीजन में वनों में प्राकृतिक जल स्त्रोत मार्च के अंत तक सूख जाते हैं। इस बार फरवरी के अंत तक प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख जाएंगे। पानी की समस्या से निपटने पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल ने जल्द ही वन अफसरों की बैठक बुलाने की बात कहीं है। इसके अलावा वनों में सासर की संख्या बढ़ाने तथा सासर में पूरे समय पानी भरे रहे ऐसी व्यवस्था करने की बात पीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने कहा है।
वनों से वाटर बॉडी में आवाजाही पर रोक
वनों से सटे कई ऐसे वाटर बॉडी है जहां पूरे साल पानी भरे रहता है, वहां वन्यजीव पानी पीने आते हैं, ऐसे वाटर बॉडी में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाने वन्यजीव प्रेमियों ने मांग की है। एसे चिन्हांकित स्थानों में शिकारी अलर्ट रहते हैं और वन्यजीवों की शिकार करते हैं।
मानव-हाथी द्वंद्व का खतरा
जंगल सूखने तथा पानी की कमी होने से वैसे तो सभी वन्यजीव प्रभावित होते हैं, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हाथियों पर पड़ता है। हाथी का खुराक अन्य शाकाहारी वन्यजीवों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा रहता है। इसके साथ ही हाथियों को अन्य वन्यजीवों की अपेक्षा ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में हाथियों के भोजन तथा पानी की तलाश में रहवासी क्षेत्रों में प्रवेश करेंगे। इससे मानव हाथी द्वंद्व की बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
नमी कम होने से आगजनी की घटना बढ़ेगी
भीषण गर्मी के चलते जमीन की नमी कम होगी, इसके चलते जंगल में आगजनी की घटना पहले की तुलना में ज्यादा होने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष गर्मी के दिनों में भी बीच-बीच में बारिश होने की वजह से वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 30 प्रतिशत आगजनी की घटना कम हुई थी। वर्ष 2022 में जहां जंगल में 18 हजार आगजनी की घटनाएं हुई थी, वहीं वर्ष 2023 में 12 हजार 600 आगजनी की घटनाएं हुई थी।
फायर वाचर को अलर्ट रहना होगा
जंगल को आग से बचाने इस बार फायर वाचर को पहले से अलर्ट करना होगा। इसके साथ ही स्टेट फ्लाइंग स्कावयड के स्टाफ में बढ़ोतरी कर जंगल की निगरानी बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी। साथ ही सभी वनमंडलों में एंटी पोचिंग टीम गठित कर शिकारियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
जहां संभव वहां सौर पंप से पानी
जंगल के एसे कोर एरिया जहां वन्यजीवों की आवाजाही ज्यादा होती है। गर्मी के दिनों में वहां पानी की कमी होती है। ऐसी जगहों में सासर बनाकर उसमें सौर उर्जा से चलने वाले पंप लगाकर पानी भरने की जरूरत है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ वनमंडल के गोमर्डा अभयारण्य में कुछ स्थानों पर इस तरह का प्रयोग किया गया है, जो काफी सफल रहा है।
सासर एक निश्चित आकार में हो
जंगल में वन्यजीवों की पानी के लिए बनाए जाने वाले सासर एक निश्चित दूरी पर होेना चाहिए। इसके अलावा एक निश्चित मापदंड में सासर का निर्माण होना चाहिए, जिस सासर में हिंसक, मांसाहारी वन्यजीव पानी पीने के लिए जाते हैं वहां हर्बिबोर प्रजाति के हिरण, चीतल, सांभर, जंगली सुअर पानी पीने जाने से बचते हैं।