जिस व्यक्ति के नाम पर सूर्यकांत तिवारी के द्वारा केवल और केवल 45 लाख रुपए देने का लिखित जिक्र हो उस व्यक्ति के द्वारा 13 करोड़ रूपये की अवैध कमाई का प्रमाण मिले तो आश्चर्य इस बात का नही होना चाहिए कि महज 13 करोड़ की जानकारी मिली।आश्चर्य इस बात का होना चाहिए और शाबाशी भी इस बात की दी जाना चाहिए कि एक गरीब आदिवासी, जिसे किसी यात्रा का दायित्व मिला हो, संभावित लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी माना गया हो उसने 216 करोड़ रुपए के राशन घोटाले में आधा आधा भी हिस्सेदारी की राशि को सुनियोजित ढंग से खपा दिया और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पता ही नही कर पाया। विधानसभा में राशन घोटाले की राशि 216 करोड़ रूपये बताई गई है जिसका आधा हिस्सा 108 करोड़ रूपये होता है।
इस 108 करोड़ रूपये में से केवल 13करोड़ रुपए की जानकारी का खुलासा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किया है। एक ही घोटाले के 95 करोड़ रुपए को बेहतरीन तरीके से खपा देना किसी गरीब आदिवासी का काम नहीं हो सकता है।अमरजीत भगत खाली खाद्य विभाग के मंत्री नही थे बल्कि संस्कृति और योजना मंत्री भी थे। राम वन गमन पथ सहित प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सम्हालने,खोजने और उनकी उद्धार का भी जिम्मा था। राज्य की संस्कृति को बढ़ाने में कितनी राशि डकारी गई है ये तो पता ही नहीं चला है।
अमरजीत भगत के पूरे परिवार सहित आसपास के सरकारी कर्मचारी भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के जांच के दायरे में है जिनके मोबाइल और कंप्यूटर सिस्टम से ऐसे व्यक्तियों के नाम मोबाइल नंबर, तारीख और दिए गए राशि के दिन ही व्हाट्स एप में किए गए चैट के समय का ब्यौरा है। खाद्य विभाग के द्वारा अमरजीत भगत के ही आदिवासी क्षेत्र में गुड़ और चना का टेंडर लेने वालो के द्वारा दिए गए कमीशन का ब्यौरा जांच विभाग के पास है।
इनमे रायपुर शहर में रह कर आदिवासी क्षेत्र में गुड़ और चना के कारोबारी का नाम भी है।इनमे से एक राइस मिलर भी है जो विधानसभा से कुछ दूर बैठ कर करोड़ो रुपए की कमीशन दिया है। जशपुर का एक चना व्यापारी जो अमरजीत भगत का व्यवसाई संबंधी है ,इसके यहां इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पहले ही धावा बोल चुका है। यही हाल गुड व्यापारियों के साथ हुए कमीशन का है जिसकी हवा भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को पता ही नही लगा।
अमरजीत भगत के नजदीकी सरकारी सहायक जो दिन रात उनके लिए चारो तरफ से पैसा वसूला है वे मुगालते में रहे कि सरकार वापस आ रही है, असावधान रहे, सारे प्रमाण छोड़ दिए और विभाग के सैकड़ों अधिकारियो के फोन नंबर, कॉल डिटेल्स, मिली राशि और तारीख को खत्म नहीं कर पाए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 26 पेज की शीट कब्जे में ले लिया है।भले ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसमें घुसने की तैयारी में है लेकिन विभाग दोहरी मुसीबत में खड़ा होते दिख रहा है। कुछ दिन पहले विधान सभा में 216 करोड़ के राशन बचत घोटाले की विधान सभा की जांच समिति से जांच की घोषणा हुई है और एक सप्ताह में 13 करोड़ की अवैध संपत्ति पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के यहाँ निकली है। इससे घोटाले की पुष्टि होते दिख रही है। आगे मामला ईडी और एसीबी को भी देने की चर्चा है। इससे विभाग के अधिकारी बड़ी परेशानी में फसेंगे, ये तय है.