भूपेश बघेल की सरकार राज में भ्रष्ट्राचार करवाने का जिम्मा ऐसे गैर अनुभवी लोगो को दिया गया था जो खाना और खिलाना दोनो नही जानते थे। इनके पास एक ही गुण था कि ये सरकार के दो नुमाइंदे अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के करीबी थे। ईडी ने बीती सरकार के मार्कफेड के एम डी मनोज सोनी को पूछताछ के बाद जिस सेंट्रल जेल में अनिल टुटेजा निवासरत है, भेज दिया है। ईडी की हिरासत में कुरूद (धमतरी) का एक राइस मिलर्स और छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स संघ का कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर सच न बताने और झूठ बोलने के लिए 27 मई तक रहेंगे।
ईडी की तरफ से एक बयान आज समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है कि मार्कफेड के एम डी मनोज सोनी के निर्देश पर रोशन चंद्राकर राइस मिलर्स के जिला स्तरीय संघों के अध्यक्षों से 20रू क्विंटल कमीशन वसूला करता था। ये मनोज सोनी के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है। मनोज सोनी की इतनी औकात नही थी कि वो खुद 94लाख मीट्रिक टन धान की मिलिंग के एवज में अकेला 140करोड़ रूपये डकार जाता। मनोज सोनी अपने स्तर पर चिल्लहर एकात करोड़ खा सकता था।भूपेश सरकार में तीन स्तरीय भ्रष्ट्राचार था ।
पहले स्तर पर मुख्यमंत्री के कार्यालय के दो नुमाइंदे थे अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया, दूसरे स्तर पर जिस विभाग में भ्रष्ट्राचार किया जाना है उसके विभाग प्रमुख जैसे समीर विश्नोई, निरंजन दास, मनोज सोनी और तीसरे स्तर पर दलाल हुआ करते थे।सूर्यकांत तिवारी,अनवर ढेबर और रोशन चंद्राकर। ऊपर 85फीसदी पहुंचाने का काम दलाल करते थे और बचे 15 प्रतिशत दूसरे और तीसरे स्तर के बीच बटता था। इस आधार पर 21 करोड़ रुपए की राशि मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर के बीच बटी है। मनोज सोनी को बरगलाने का काम अनिल टुटेजा के कहने पर रोशन चंद्राकर ने किया है। मनोज सोनी छत्तीसगढ़ में रहने और मूल विभाग भारतीय टेलीकॉम में न जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। अब खाए है बामुश्किल दस करोड़ रुपया और इल्जाम लग रहा है 140 करोड़ का।
चांवल में घालमेल के लिए थोड़ा सा पीछे भाजपा सरकार राज की ओर जाना जरूरी है। अनिल टुटेजा नागरिक आपूर्ति निगम का एम डी हुआ करते थे। कस्टम मिलिंग के चांवल के क्वालिटी में गड़बड़ी करने के नाम पर चिल्लहर 2- 4रूपये क्विंटल की वसूली किया करते थे। आलोक शुक्ला भी किंचित लालच में आ गए क्योंकि मार्कफेड में अध्यक्ष न होने के कारण सीईओ थे। एसीबी के प्रमुख मुकेश गुप्ता ने प्रदेश स्तर के घोटाले का खुलासा कर दिया। सस्पेंड हुए अलग आपराधिक प्रकरण चालू हो गया। कानूनी दाव पेंच लगाकर गिरफ्तार नही हुए ।
2019 में सरकार क्या बदली, अनिल टुटेजा, भूपेश बघेल की सरकार में गोद में जा बैठे। जैसे मनोज सोनी ने अपने छत्तीसगढ़ में रहने का समझौता किया वैसा ही अनिल टुटेजा ने किया। ऊपर से एक ही लक्ष्य था। लाओ, लाओ और लाओ। अनिल टुटेजा व्यापारी समुदाय से ताल्लुक रखते है सो भ्रष्ट्राचार का व्यापार की फ्रेंचाई खूब बांटी। मनोज सोनी की भी संयोग से चांवल ही हिस्से में आया और अनिल टुटेजा दोबारा व्यापार में फेल हो गए। ईडी को चाहिए कि अनिल टुटेजा, मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर की गोलमेज सम्मेलन करवाए। बहुत कुछ नजर बता देगी और बहुत कुछ तीनों बता देंगे। इस कहानी में पिछली सरकार के मुखिया और पार्टी के फरार कोषाध्यक्ष भी किरदार में है,आखिर रोशन चंद्राकर भी तो कोषाध्यक्ष ही तो था।