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बड़ा फर्क है रायपुर और मेरठ के जेल में

छत्तीसगढ़ की राजधानी के सेंट्रल जेल पिछले दो साल से बड़ी बड़ी हस्तियों का अस्थाई घर बना हुआ है। पचास के लगभग लोग, जब तक कांग्रेस की सरकार थी तब तक मटरगस्ती कर रहे थे। खुली जेल में तब्दील हो गया था सेंट्रल जेल। जैसा रहना है वैसा रहो,जब घूमना है घूमो, जो खाना है वो मिलेगा। मोबाइल, टीवी, वातानुकूलित मशीन। बस चार दिवारी की दुनियां से बाहर भर नहीं निकल पाओगे। बॉलीबाल अलग से, बैडमिंटन भी खेल लो। छत्तीसगढ़ बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष जो भीतर थे, अपने अनवर ढेबर भाईजान।

सत्ता बदली और नई जांच एजेंसी के रूप में राज्य की जांच एजेंसी एसीबी की एंट्री क्या हुई। सत्यानाश हो गया। जमानत में छूटने के सारे हथकंडे तेल ले लिए।इतने गैर जमानती केस बन गए है कि जब तक सारे मामले में जमानत नहीं मिल जाती बने रहो अरविंद केजरीवाल। रायपुर के सेंट्रल जेल के अधिकारी (खास कर भीतर के प्रहरी) दयालु है, संवेदना इतनी है कि चिट्ठी पत्री रिश्तेदारों को व्हाट्सएप हो जाता है। खबर भी आदान प्रदान हो जाता है। खाली वेतन के बाद यही जरिया है। चार पैसे, पैसे वाले आरोपी दिला देते है। पेशी में कोर्ट ले गए तो मोबाइल से बात करा दिए, घर का खाना खिला दिए। मेहरबानी ऐसे ही की जाती है।

नई सरकार के आने के बाद सुख सुविधा की ऐसी तैसी हो गई। वी आई पी आरोपी से सामान्य आरोपी बन गए ।एक बैरक में रहने वालो को अलग अलग बैरक में भेज दिया गया। सबको डर लगा रहता है।कही कोई पोक न दे। छन छन कर मारपीट की खबरों से दिल बैठा जा रहा है सो अलग। इस वातावरण में उत्तर प्रदेश पुलिस का भी आगमन हो गया है। नकली होलोग्राम के नाम पर बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष अनवर ढेबर को क्या उठाए चिड़िया उड़ने लगी। एक बार उज्जैन आकार विकास दुबे को ले गए थे। बीच रास्ते में मुठभेड़ में मारा गया। पहले तो सेंट्रल जेल के बाहर भाईजान के आदमियों ने(पहली बार जेल गए थे तो बहन जान लोग पहुंची थी) बवाल किया लेकिन शासन अपना न हो तो कुछ नहीं होता है, ले गए मेरठ, शुक्र है न गाड़ी पलटी नही कोई भागा और न ही गोली चली।

भाईजान वहां पहुंचे और यहां खेत में अधजले नकली होलोग्राम का पैकेट मिल गया। प्रेस का पता ठिकाना मिल गया।शाबाश शेरो, सरकारी कार्यालय के बेसमेंट पर बड़ा काम चल रहा था या चलवाया जा रहा था। एक गया था दूसरे को लेने आ गए। शराब घोटाले के दूसरे किंग पिन अनिल टुटेजा को भी ले गए। रुक जाओ एक सप्ताह बाद नए सबूत मिलेंगे ऐसा विश्वास है क्योंकि उत्तर प्रदेश की पुलिस को प्रश्नों का उत्तर पता लगाने में मास्टरी है। छत्तीसगढ़ से गए लोग ऐसे ही पचास पार सुविधाभोगी है।बर्फ की सिल्ली में पांच मिनट सोने से पहले ही सारी बात बताना होगा।भले कोर्ट में पलट जायेंगे। सुनने में आया है कि एक परिवार कोचिंग धंधे के साथ साथ नौकरी दिलाने वाली भी एजेंसी खोल कर रखे है। जिन लोगो को नौकरी दिलाते है उनसे कमीशन खा रहे है। अब लात जूते खाने की बात मेरठ से आ रही है

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