नई दिल्ली। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले ने कर्नाटक की राजनीति में भूचाल ला दिया है. इस मामले में फंसे मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ गई है. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है. मुडा मामले में सीएम सिद्धारमैया के साथ उनकी पत्नी समेत परिवार के सदस्यों के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं.
जानिए क्या है पूरा मामला
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण का काम मैसूर में शहरी विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे का विकास करना और लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराना है. मुडा ने साल 2009 में शहरी विकास के चलते अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना 50:50 पेश की थी. इस योजना के तहत जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें मुडा द्वारा विकसित भूमि की 50 फीसदी जमीन के प्लॉट आवंटित किए जाएंगे. हालांकि साल 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था. हालांकि योजना बंद होने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना को जारी रखा. इसके तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा.
आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी की मैसूर में स्थित 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई. इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गई. मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी को 2010 में आवंटित की गई. आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी.
मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती ने आवेदन किया, जिसके आधार पर मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं. यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था. जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है.
विपक्ष का आरोप है कि विजयनगर में जो साइटें आवंटित की गई है उनका बाजार मूल्य केसारे में मूल भूमि से काफी अधिक है. विपक्ष ने अब मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर भी सवाल उठाए हैं. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि 2021 में भाजपा शासन के दौरान ही विजयनगर में सीएम की पत्नी पार्वती को नई साइट आवंटित की गई थी.